Ravi Pradosh vrat 2023: साल 2023 का आखिरी प्रदोष व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Ravi Pradosh vrat 2023: प्रदोष व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है. साधक श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं, इस समय में साधक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं.

By Radheshyam Kushwaha | December 15, 2023 10:14 AM

Ravi Pradosh vrat 2023: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत साल 2023 का आखिरी प्रदोष व्रत होगा. यह दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. शिव और शक्ति को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष का समय अत्यंत शुभ होता है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत रवि प्रदोष व्रत होगा.

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कब है?

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023 दिन रविवार को रखा जाएगा. ये साल 2023 का आखिरी प्रदोष व्रत होगा. प्रदोष व्रत में प्रदोष काल यानी सूर्य अस्त होने से 45 मिनट पहले और सूर्य अस्त होने के 45 मिनट के बीच शिव साधना की जाती है.

मार्गशीर्ष रवि प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 25 दिसंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा. प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 30 मिनट से रात 08 बजकर 14 मिनट तक होगा.

पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मा बेला में उठें और भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें.

  • दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें.

  • इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और व्रत संकल्प लें.

  • भगवान शिव को श्वेत रंग प्रिय है. अतः श्वेत रंग के वस्त्र धारण करें.

  • अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें.

  • पूजा के समय शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.

  • अंत में आरती करें.

  • अगले दिन नित्य दिनों की तरह स्नान-ध्यान और पूजा कर व्रत खोलें.

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रवि प्रदोष व्रत क्यों है खास

रवि प्रदोष व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत एक साल में कई बार आता है. यह व्रत महीने में दो बार आता है. पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत रखने का पुण्य दो गाय दान करने जितना होता है. वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन करते हुए बताया था कि कलयुग में जब अधर्म चरम पर होगा, लोग अन्याय की राह पर जा रहे होंगे उस समय प्रदोष व्रत एक माध्यम बनेगा, जिसके जरिए वो शिव की अराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेगा.

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