कोरोना पर प्रतिक्रिया : इटली की हालत देख कर भी लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं ले रहे लोग

इटली स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है. लेकिन वहां पर कोरोना का कहर साफ देखने को मिल रहा है. ऐसी स्थिति में लोगों को लॉकडाउन का पालन करना चाहिए.

By Pritish Sahay | March 24, 2020 4:07 AM

कोलकाता : शुक्रवार शाम के पांच बजे से राज्य में लॉकडाउन हो गया. इसे लेकर लोगों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. लोगों का कहना है कि इस दौरान परेशानी तो होगी, लेकिन भारत जैसे सघन जनसंख्या वाले देश में सरकार के पास यही एक रास्ता है. इटली स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है. लेकिन वहां पर कोरोना का कहर साफ देखने को मिल रहा है. ऐसी स्थिति में लोगों को लॉकडाउन का पालन करना चाहिए. प्रभात खबर ने हर क्षेत्र व तबके के लोगों से बात कर उनकी प्रतिक्रिया ली. पेश है बातचीत के कुछ अंश

असीम साहा (उद्योगपति): कोरोना वायरस के प्रभाव से बचने के लिए राज्य में लॉकडाउन की स्थिति बनी है. हम इसका पूरा समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि इससे जहां कोरोना की चेन टूटेगी. वहीं इससे प्रदूषण भी काफी हद तक कम होगा.

प्रकाश कोठारी (समाजसेवी): कलकत्ता में लॉकडाउन का यह कदम सराहनीय है. इसके लिए हम दीदी के बहुत आभारी हैं. उन्होंने सही समय पर सही निर्णय लिया है. लॉकडाउन किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है. यह पूरे देश की सुरक्षा के लिए है. ऐसे में हम सभी को घर में रहकर अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहिए.

नारायण दास मुंद्रा (समाजसेवी): लॉकडाउन अभी देश व समाज के लिए बहुत जरूरी है. इससे कोरोना वायरस से संक्रमित होनेवालों की चेन टूटेगी. अभी ज्यादा से ज्यादा समय अपने घर में ही रहना उचित होगा. ये समय अपने परिवार के साथ व्यतीत करने का है. ऐसे में खुद को और समाज को सुरक्षित रखें.

स्मृति मित्रा (आर्मी पब्लिक स्कूल की शिक्षिका): सरकार ने सभी के हित में लॉकडाउन का बहुत ही अच्छा कदम उठाया है, क्योंकि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है. ऐसे में हमारे देश में जहां इतनी जनसंख्या है, कोरोना के कम्युनिटी लेवल पर फैलने पर इसे रोकना संभव नहीं हो पायेगा. मैं जिस कॉम्पलेक्स में रहती हूं. वहां भी पूरी तरह से सतर्कता बरती जा रही है. बाहर से आनेवाले लोगों को मास्क व सैनिटाइजर दिये जा रहे हैं.

भगवान सिंह (वरिष्ठ शिक्षक, आर्य परिषद ) : लोगों को लॉकडाउन को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए. यह हम सभी की सुरक्षा को लेकर ही है. डॉक्टर, नर्स, पुलिस, मीडियाकर्मी व सुरक्षाकर्मी अपनी जान पर खेलकर हमारी सुरक्षा कर रहे हैं. ऐसे में हमें तो घर में बैठकर इस जंग में योगदान देना है. अगर जनता जागरूक होकर इसका पालन करेगी, तो भारत में कभी भी इटली की तरह स्थिति नहीं आयेगी.

अखिलेश कुमार राय (वरिष्ठ शिक्षक, आर्य परिषद) : लॉकडाउन ही कोरोना से बचने का सबसे सही तरीका है. सभी इस बात से वाकिफ हैं कि अभी तक कोरोना का कोई एंटीडॉट नहीं बन पाया है. देश की सघन आबादी में यह बीमारी यदि फैल गयी, तो बड़ा संकट खड़ा हो जायेगा. हालांकि कुछ लोगों को इससे कठिनाई हो रही है, लेकिन यह जान से बड़ी नहीं है.

अरुण झा (प्रधानाचार्य, अलीपुर टकसाल विद्यापीठ) : सरकार का यह सराहनीय कदम है. लॉकडाउन किसी भी राज्य में अचानक नहीं लिया जाता. इस बारे में सरकार ने अवश्य बड़े-बड़े डॉक्टरों से सलाह ली होगी. कोरोना को फैलने से रोकने के लिए यह ही एक बड़ा कदम है.

अजीत कुमार प्रसाद (कलकत्ता पुलिस होम गार्ड) : यह कदम बहुत सराहनीय है. इससे कोरोना की चेन टूटेगी और कम लोग ही कोरोना के प्रभाव में आयेंगे. मेरा मानना है कि लॉकडाउन को कुछ और दिनों के लिए बढ़ा दिया जाना चाहिए, जिससे संक्रमण होने की सारी आशंकाएं खत्म हो जाये.

संतोष कुमार सिंह (शिक्षक, ज्ञानभास्कर विद्यालय) : आम आदमी को यह समझना जरूरी है कि यह उनकी सुरक्षा के लिए किया जा रहा है. लॉकडाउन को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. हालात ऐसे हैं कि लोग एकदूसरे के साथ आ रहे हैं. अब तक लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं.

रतन प्रसाद (लक्ष्य इंस्टीट्यूट के शिक्षक) : लॉकडाउन का निर्णय काबिले तारीफ है, लेकिन ऐसी स्थिति में रोज मजदूरी कर अपना जीवनयापन करनेवाले लोगों को सरकार की मदद मिलनी चाहिए. सरकार ऐसे सभी लोगों का पता लगाकर उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था करे.

रामाशंकर साव (नॉन टिचिंग स्टाफ, ज्ञान भास्कर विद्यालय) : लॉकडाउन सुरक्षा के हिसाब से बहुत सराहनीय कदम है. इससे लोगों को परेशानी तो हो रही है, लेकिन कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का सरकार के पास यही रास्ता है.

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