मथुरा में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन जरूरी, सिर्फ इनको ही परिक्रमा मार्ग पर जाने की होगी अनुमति

उपजिलाधिकारी गोवर्धन कमलेश गोयल ने बुधवार को बताया कि पहले चरण में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर चलने वाले ई-रिक्शा पर नियम लागू होगा. वैध पंजीकरण संख्या वाले केवल 400 ई-रिक्शा को परिक्रमा मार्ग पर जाने की अनुमति दी जाएगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2023 3:58 PM

मथुरा. मथुरा में ई-रिक्शा चालकों द्वारा तीर्थयात्रियों के कथित शोषण और उत्पीड़न को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने इस वाहन का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है. उपजिलाधिकारी गोवर्धन कमलेश गोयल ने बुधवार को बताया कि पहले चरण में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर चलने वाले ई-रिक्शा पर नियम लागू होगा. वैध पंजीकरण संख्या वाले केवल 400 ई-रिक्शा को परिक्रमा मार्ग पर जाने की अनुमति दी जाएगी. उन्होंने बताया कि परिक्रमा मार्ग पर चलने वाले प्रत्येक ई-रिक्शा में अलग-अलग दूरियों के लिए किराया सूची, पंजीकरण संख्या और वाहन पर पुलिस का टेलीफोन नंबर अंकित होगा.

पहचान के लिए दिया जाएगा टोकन

अधिकारियों के अनुसार पहले चरण में यह व्यवस्था लगभग 22 किलोमीटर लंबे गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर चलने वाले ई-रिक्शा पर लागू होगी. जबकि अन्य क्षेत्रों को आगे के चरणों में इसमें शामिल किया जाएगा. आमतौर पर बड़ी संख्या में भक्त गोवर्धन परिक्रमा पैदल ही पूरी करते हैं. हालांकि, कुछ बुजुर्ग और वरिष्ठ नागरिक इसके लिए ई-रिक्शा सेवा का भी इस्तेमाल करते हैं. अधिकारियों ने कहा कि ई-रिक्शा के चालकों के लिए वर्दी संहिता भी लागू होगी. उन्हें अपनी पहचान साबित करने के लिए एक टोकन भी दिया जाएगा. यह प्रणाली एक अप्रैल से लागू होगी.

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मथुरा क्यों है खास

मथुरा को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मानी जाती है. यह भारत का प्राचीन शहर है तथा यमुना नदी के किनारे बसा है. मथुरा लगभग लखनऊ से 400 किलोमीटर तथा आगरा से 58 किलोमीटर पर स्थित है. यहां पर दुनिया भर से पर्यटक कृष्ण नगरी में भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करने के लिए आते हैं. भगवान विष्णु ने मथुरा को सर्वाधिक अपना प्रिय स्थान बताया है. मथुरा अपने खानपान के लिए बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, जैसे कि मथुरा के पेड़े, मखन मिश्री, चार्ट, टिक्की, कचोरी इत्यादि तथा मथुरा के लोक संगीत, नृत्य काफी लोकप्रिय है. मथुरा अपने कुछ खास त्योहार के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है. जैसे कि कृष्ण जन्माष्टमी, लठमार होली, गुरु पूर्णिमा तथा राधा अष्टमी यहां के महत्वपूर्ण त्योहार माने जाते हैं.

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