ओडिशा में चंडीखोले के समीप 13वीं सदी के मंदिर के अवशेष मिले
इस जगह का अध्ययन करने वाली इनटैक टीम के सदस्य दीपक कुमार नायक ने कहा कि ‘मूर्ति विज्ञान’ पर विचार करने पर ऐसा लगता है कि यह मंदिर 13वीं या 14वीं सदी में बना होगा, जब पूर्वी गंगा वंश का इस क्षेत्र पर शासन था. इसका (अवशेषों का) सबसे पहले स्थानीय धरोहर प्रेमी नरपति निहार सियाला ने पता लगाया.
Odisha News Today: ओडिशा में जाजपुर जिले (Jajpur District) के एक गांव में 13वीं सदी के एक मंदिर का आधार एवं अन्य पुरातात्विक अवशेष मिले हैं. इनटैक (INTACH) ने सोमवार को राजधानी भुवनेश्वर (Bhubaneswar News Today) में यह जानकारी दी. उसने बताया कि जिले में बदचना प्रखंड के पुरुषोत्तमपुर सासना गांव में धनमंडल स्टेशन की रेलवे साइडिंग से महज कुछ दूर एक छोटी पहाड़ी के निचले हिस्से में चार एकड़ क्षेत्र में मंदिर के अवशेष बिखरे मिले हैं.
इस जगह का अध्ययन करने वाली इनटैक टीम के सदस्य दीपक कुमार नायक ने कहा कि ‘मूर्ति विज्ञान’ पर विचार करने पर ऐसा लगता है कि यह मंदिर 13वीं या 14वीं सदी में बना होगा, जब पूर्वी गंगा वंश का इस क्षेत्र पर शासन था. इसका (अवशेषों का) सबसे पहले स्थानीय धरोहर प्रेमी नरपति निहार सियाला ने पता लगाया.
नायक ने कहा, ‘अवशेष से एक विशाल मंदिर परिसर का भान होता है, जो ढह गया. लेकिन उसका आधार अब भी नजर आ रहा है. बड़ी-बड़ी शिलाएं, नक्काशीदार शिलास्तंभ, कुछ संगतराशी मूर्तियां वहां इधर-उधर बिखरी मिली हैं.’
भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत राष्ट्रीय न्यास (इनटैक) के तीन सदस्यीय दल ने इस स्थान का अध्ययन किया, जिसमें अनिल धीर, विश्वजीत मोहंती और नायक शामिल थे. जाजपुर प्राचीन काल में गुहेश्वरपताकार के नाम से जाना जाता था. इस क्षेत्र में अलग-अलग काल खंडों में भौमकारों, सोमवामशीष, गंगा, सूर्यमवामशीष वंशों ने शासन किया और उनके शासनकाल में कला एवं वास्तुकला चरम पर थी. कई सुंदर मंदिर बनाये गये थे.