21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड के अरविंद वर्णवाल ने हिमालय पर्वत श्रृंखला के केदारकांठा पर्वत की 12050 फीट ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा

जामताड़ा के अरविंद वर्णवाल ने कहा कि केदारकांठा पर्वत की ऊंची चोटी पर पहुंचकर तिरंगा लहराना हम सभी साथियों के लिए एक अविस्मरणीय पल था. पूरी पर्वत श्रृंखला बर्फ की चादर से ढंकी थी. भारत से 8 राज्यों के 30 लोग गणतंत्र दिवस के पूर्व हिमालय पर्वत श्रृंखला पर तिरंगा फहराने की यात्रा में शामिल थे.

जामताड़ा, उमेश कुमार. जामताड़ा के एक युवक ने हिमालय पर्वत श्रृंखला के केदारकांठा पर्वत की 12050 फीट की ऊंचाई पर गणतंत्र दिवस के पूर्व तिरंगा फहराकर देश को गौरवान्वित किया है. इस उपलब्धि को हासिल करने वालों में जामताड़ा कोर्ट रोड निवासी अरविंद वर्णवाल भी हैं. उन्होंने बताया कि पूरे भारत वर्ष से आठ राज्यों के 30 लोग गणतंत्र दिवस के पूर्व हिमालय पर्वत श्रृंखला पर तिरंगा फहराने की यात्रा में शामिल थे. इसमें झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार के ट्रेकर इस यात्रा में शामिल थे.

केदारकांठा पर्वत पर फहराया तिरंगा

अरविंद वर्णवाल ने बताया कि जामताड़ा और धनबाद से दो युवक इसमें शामिल थे. उत्तराखंड ग्रुप बनाकर हम सभी ने उत्तराखंड के ही रहने वाले ट्रेकर त्रिलोक राय के नेतृत्व में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित हिमालयन श्रृंखला के केदारकांठा पर्वत शिखर की बारह हजार पचास फीट ऊंचाई पर तिरंगा फहराने के लिए संकरी गांव से यात्रा शुरू की थी. संकरी गांव से 12 किलोमीटर पर केदारकांठा पर्वत था. इस पर्वत को फतह करने के दौरान हम लोगों ने दो बेस कैंप बनाए थे. पहला बेस कैंप पर्वत के तलहटी में तो दूसरा बेस कैंप 10,000 फीट की ऊंचाई पर था. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने दूसरे बेस कैंप पर पहुंचकर थोड़ा आराम किया. उसके बाद रात 2:00 बजे केदारकांठा की चोटी पर पहुंचने की यात्रा शुरू की थी, ताकि सुबह 7:00 बजे हिमालय पर्वत श्रृंखला का सूर्योदय का 360 डिग्री का दृश्य भी देख सकें.

अमरनाथ और केदारनाथ की कर चुके हैं यात्रा

अरविंद वर्णवाल ने कहा कि केदारकांठा पर्वत की ऊंची चोटी पर पहुंचकर तिरंगा लहराना हम सभी साथियों के लिए एक अविस्मरणीय पल था. उन्होंने बताया कि पूरी पर्वत श्रृंखला बर्फ की चादर से ढंकी थी. तापमान भी खून को जमा देने वाला था, लेकिन हिमालय श्रृंखला की पर्वत की चोटी पर तिरंगा झंडा फहराने का जुनून ही था कि हम सभी बिना थके, बिना ठंड की परवाह किए इसकी ऊंची चोटी पर पहुंचे और तिरंगा झंडा फहरा आए. उन्होंने बताया कि पहले भी अमरनाथ और केदारनाथ की यात्रा वे कर चुके हैं.

Also Read: Jharkhand News: झारखंड का एक गांव, जहां महामारी से बचाव के लिए 100 साल पहले शुरू हुई थी माघी काली पूजा

15 जनवरी को देहरादून से शुरू की थी यात्रा

अरविंद वर्णवाल बताते हैं कि 15 जनवरी को देहरादून से यात्रा शुरू की थी. वहां से मसूरी, नावगांव, पुरोला, मूरी, नेटवाद कोटगांव(संकरी) तक 220 किमी का सफर करीब दस घंटे में अपने निजी वाहन से पहुंचा. 16 जनवरी दूसरा दिन, कोटगांव (संकरी) से केदारकांठा पर्वत के 9100 फीट पर स्थित पहला बेस कैंप पहुंचे. 17 जनवरी तीसरा दिन 11250 फीट पर स्थित दूसरा बेस कैंप शेफर्ड कैंप करीब पांच घंटे की ट्रेकिंग कर पहुंचे. वहां आराम करने के बाद रात दो बजे फिर पर्वतारोहण शुरू किया गया. करीब चार घंटे की चढ़ाई के बाद सुबह 7 बजे केदारकांठा की सबसे ऊंची चोटी पर 18 जनवरी को पहुंचे और तिरंगा फराया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें