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Bareilly News: एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में 25 साल बाद महात्मा ज्योतिबा फुले पर रिसर्च एंड स्टडी

एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी की स्थापना 1975 में सम्बद्ध यूनिवर्सिटी के रूप में हुई थी.1985 में जब चार विभाग और बढ़ाने पड़े, तब इसे आवासीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला. 1987 में तीन विभाग और बढ़े. इसके बाद अगस्त 1997 में महात्मा ज्योतिबा फुले का नाम जोड़कर एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी कर दिया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2022 4:04 PM

Bareilly News: महात्मा ज्योतिबा फुले (एमजेपी) रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में 25 वर्ष बाद महात्मा ज्योतिबा फुले को पहचान देने की कोशिश की गई है. महात्मा ज्योतिबा फुले की 195वीं जयंती पर रिसर्च एंड स्टडी सेंटर का शुभारंभ किया गया है. इससे छात्र 19वीं शताब्दी के महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले पर रिसर्च एवं स्टडी कर सकेंगे.

एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह ने महात्मा ज्योतिबा फुले रिसर्च एंड स्टडी सेंटर का सोमवार को शुभारंभ किया. उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि महापुरुषों के जीवन पर शोध करने के लिए आगे आने की जरूरत है. उन्होंने अप्रैल के महीने को महत्वपूर्ण महीना बताया. बोले, यह महीना भारतीय नववर्ष का पहला महीना है. नवरात्र समेत तमाम प्रमुख त्योहार होते हैं. इसके साथ ही देश के दो महान सपूत महात्मा ज्योतिबा फूले और बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस भी है. लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए संविधान पर अमल करने की बात कही.

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प्रोफेसर कालीचरण स्नेही ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फूले महान समाज सुधारक थे. उन्होंने अपने समय में महिला और वंचितों के लिए शिक्षा के द्वार खोले. महापुरुषों से मुलाकात विश्वविद्यालयों के पुस्तकालय के माध्यम से होती है. शिक्षा सभी की जरूरतों की पूर्ति करती है. सभी धर्मों में अच्छी बातें हैं, लेकिन उनको आचरण में लाने की जरूरत है. इस दौरान एमजेपी रुहेलखंड के प्रमुख प्रोफेसर मौजूद थे.

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1975 में सम्बद्ध यूनिवर्सिटी के रूप में हुआ आगाज

एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी की स्थापना 1975 में सम्बद्ध यूनिवर्सिटी के रूप में हुई थी.1985 में जब चार विभाग और बढ़ाने पड़े, तब इसे आवासीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला. 1987 में तीन विभाग और बढ़े. इसके बाद अगस्त 1997 में महात्मा ज्योतिबा फुले का नाम जोड़कर एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी कर दिया गया.

रिपोर्ट – मुहम्मद साजिद, बरेली

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