धनबाद : कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक विनय रंजन की अध्यक्षता में गुरुवार को कोलकाता स्थित कंपनी मुख्यालय में पीआरएमएसएनइ व ट्रस्टी बोर्ड की बैठक हुई. इसमें बताया गया कि एक्च्यूरी रिपोर्ट के अनुसार 2031 तक फंड खत्म हो जायेगा. कोल कंपनियों में नयी नियुक्ति कम होने और सेवानिवृत्त कर्मियों की संख्या बढ़ने से यह स्थिति बनी है. ऐसे में इलाज में परेशानी होगी. इसलिए अंशदान बढ़ाने पर जोर दिया गया. हालांकि कोई निर्णय नहीं हो सका है. सीपीआरएमएस के माध्यम से रिटायर्ड कोल कर्मियों को आठ लाख तक का इलाज व गंभीर रोगों में उपचार की पूरी राशि देने का प्रावधान है.
आउटडोर इलाज के लिए अब प्रतिवर्ष पति-पत्नी को 25-25 हजार मिलेगा. पूर्व में कोल इंडिया ने पति-पत्नी को मिलाकर 25 हजार देने का आदेश जारी किया था. आज की बैठक में इसे संशोधित कर पति-पत्नी दोनों को 25-25 हजार यानी कुल 50 हजार रुपया देने पर सहमति बनी. एटक से अशोक चंद्र यादव ने बताया कि वर्तमान में आठ हजार करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध है. हर साल डेढ़ से दो हजार करोड़ की राशि की निकासी हो रही है. कोलकर्मी की ओर से एकमुश्त 40 हजार रुपया का अंशदान व कोल इंडिया की ओर से प्रतिकर्मी 18 हजार दिया जाता है. मौजूदा समय में अंशदान से कई गुणा ज्यादा निकासी हो रही है. बैठक में प्रबंधन की ओर से एमसीएल डीपी, सीसीएल डीपी, कोल इंडिया के इडी (फाइनेंस) के अलावा श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों में बीएमएस से पी माघवा नायक, एचएमएस से शंकर प्रसाद बेहरा, एटक से अशोक चंद्र यादव व सीटू वामन नेनु मनोहर आदि शामिल थे.
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