20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand News: गर्मी की शुरुआत में ही संताल परगना की 25 नदियां सूखी, 55 लाख लोग हैं इन पर आश्रित

झारखंड संथाल परगना क्षेत्र की 25 नदियां सूख गयी हैं, साहिबगंज की गंगा व दुमका की मयूराक्षी नदी ही ऐसे जो कि बचे हुए हैं. नदियों के सूखने से सभी जिले की जलापूर्ति योजनाओं पर असर पड़ रहा है.

देवघर: बीते साल झारखंड में मॉनसून के दौरान औसत से कम वर्षा रिकॉर्ड की गयी थी. इसका दुष्परिणाम अब इस वर्ष देखने को मिल रहा है. गर्मी शुरू होते ही संताल परगना के छह जिले से होकर बहने वाली बड़ी नदियों का जलस्तर काफी कम हो गया है. इनकी अधिकतर सहायक नदियों के सूख गयी हैं. संताल परगना में छोटी-बड़ी 27 नदियां हैं.

इनमें साहिबगंज की गंगा व दुमका की मयूराक्षी नदी को छोड़ देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा और साहिबगंज के बरहेट की सभी नदियां सूख गयी हैं. 27 में 25 नदियां सूख गयी हैं. इन नदियों में पानी नहीं है. इन नदियों में रेत और मिट्टी दिखायी दे रही है. झाड़ियां तक उग आयी हैं. यह भयावह तस्वीर बयां कर रही हैं. नदियों के सूखने से सभी जिले की जलापूर्ति योजनाओं पर असर पड़ रहा है. इन पर आश्रित लोग नदियों में गड्ढा खोद कर पानी निकाल रहे हैं. किसानों को खेतों के लिए सिंचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है.

सुखाड़ की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देवघर में अजय नदी के सूख जाने के कारण देवघर शहरी जलापूर्ति योजना प्रभावित होने लगी. अजय नदी में जहां पानी के लिए हाइ डीप बोरिंग की गयी है, वहां का जल स्तर काफी नीचे चला गया है. नदी में पानी है ही नहीं. इस कारण पुनासी डैम का फाटक खोलकर अजय नदी में पानी छोड़ा गया है, ताकि जल स्तर मेनटेन हो और शहर को पानी मिल सके.

साहिबगंज में गंगा व दुमका में मयूराक्षी में ही दिख रहा पानी

देवघर में शहरी जलापूर्ति योजना जारी रखने के लिए अजय नदी में पुनासी से छोड़ा गया पानी

सबसे अधिक गोड्डा में नदियां सूखी

लगभग 55 लाख की आबादी है इन नदियों पर आश्रित

संताल की आबादी लगभग 69, 69 097 है. इनमें लगभग 65 फीसदी आबादी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से नदियों पर ही आश्रित है. इन नदियों के पानी से इनकी प्यास बुझती है. नदियों में पानी रहने से चापानल का जलस्तर बरकरार रहता है. नदी में नहीं रहने पर जलस्तर नीचे चला गया है, चापानल भी सूख जा रहे हैं. इन्हीं नदियों के पानी से किसानों के खेत भी सिंचित होते हैं. लेकिन गर्मी के दिनों में नदियों के सूख जाने के कारण खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है. इस कारण किसानों को परेशानी हो रही है.

चापानल, पेयजलापूर्ति योजना व झरना बना हुआ है सहारा

संताल परगना के पहाड़ी इलाके में लोगों को पीने के पानी के लिए झरना ही सहारा है. खास कर जनजातीय क्षेत्र में जोरिया और झरना की पानी पर लोग आश्रित हैं. अधिकतर जगहों पर चापानल के सहारे लोग रह रहे हैं. वहीं शहरी इलाके में डीप बोरिंग और शहरी जलापूर्ति योजना के जरिये पाइप लाइन से पानी की कमी पूरी की जा रही है. देवघर, गोड्डा, पाकुड़ और जामताड़ा के शहरी इलाके जहां ड्राइ जोन हैं, वहां टैंकर से पानी की सप्लाई हो रही है.

क्या हो रही समस्या

हैंड पंप जवाब देने लगे

अधिकतर इलाकों में जल स्तर काफी नीचे चला गया

जलस्रोत सूखने लगे

सिंचाई प्रभावित, पीने के पानी का भी संकट

क्यों सूख गयी नदियां

प्रदूषण, नाली का गंदा पानी नदी में बहाना

नदियों से बालू निकालना

नदी जल की सीधी पंपिंग

बांधों के कारण प्रवाह में व्यवधान

नदियों के प्रवाह में अतिक्रमण

किस जिले में कौन सी नदियां सूखी

देवघर (सभी पांच नदियां सूखी) : अजय, पतरो, मयूराक्षी, डढ़वा, जयंती

दुमका (तीन में दो सूखी ) : नूनबिल, सिद्धेश्वरी, मयूराक्षी (पानी है)

साहिबगंज (तीन में दो सूखी) : गंगा (पानी है), गुमानी, मुरल नदी

गोड्डा (सभी 12 नदियां सूख गयी) : कझिया, चीर, गेरूआ, बांसलोई, हरना, सुंदर, नीलक्षी, ढोलिया, कौआ, ऐंचा, सांपिन व कदैय नदी

जामताड़ा (एक सूखी): अजय नदी

पाकुड़ (तीनों नदियां सूखी) : बंसलोय, ब्राह्मणी, व तोराय

Posted By: Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें