आनंद एल राय की फिल्म ‘रांझणा’ से हिंदी सिनेमा में डेब्यू करने वाले दिल्ली के इश्वाक सिंह को मनोरंजन जगत में अपनी पहचान बनाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. दो साल पहले रिलीज हुई वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ की सफलता ने उन्हें कोरोना काल में डिजिटल वर्ल्ड का स्टार बना दिया. अब वे सोनी लिव की अवार्ड विनिंग वेब सीरीज ‘रॉकेट बॉयज’ के दूसरे सीजन में नजर आयेंगे. इसके पहले सीजन में उन्हें खूब सराहना मिल चुकी है. इस सीरीज में वे वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की भूमिका में हैं. उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
पहला सीजन बहुत कामयाब रहा. क्या आप नये सीजन की कामयाबी को लेकर नर्वस हैं?
फिल्ममेकिंग की प्रक्रिया एक आइडिया से शुरू होती है, फिर स्क्रिप्ट, उसके बाद शूटिंग और प्रोडक्शन. ये एक लंबी प्रक्रिया है. इस दौरान कई स्टेज ऐसे आते हैं, जब आपको नर्वसनेस होता ही है. आप उत्साहित भी होते हैं और एक मिक्स्ड वाली फीलिंग होती है कि आपका काम सभी के साथ शेयर होनेवाला है.
इस सीजन की कहानी में क्या खास फोकस है?
भारत का परमाणु संपन्न राष्ट्र बनना देश के एक नये युग की शुरुआत थी. इसका श्रेय देश के महान वैज्ञानिकों को दिया जाता है, जो देश को मजबूत बनाने की इस अविश्वसनीय यात्रा के साक्षी बने. यह सफर बहुत मुश्किलों से भरा था. उन्हीं वैज्ञानिकों की कहानी और देश को परमाणु संपन्न बनाने के सफर को ‘रॉकेट बॉयज 2’ में दिखाया जायेगा.
इस सीरीज के लिए आपको खूब सराहना मिली थी. कोई खास प्रतिक्रिया जो आप शेयर करना चाहेंगे?
ऐसी बड़ी परफॉरमेंस नहीं थी. हां, कुछ एक पल ऐसे थे, जिन्हें परफॉर्म करते हुए स्क्रिप्ट में मैंने ज्यादा महसूस किये, लेकिन उम्मीद नहीं होती है कि आम दर्शक उन्हें पकड़ेंगे, पर उन्होंने इसे पकड़ा. मौजूदा दौर में किसके पास इतना वक्त है कि एक बड़े पैराग्राफ का लंबा मैसेज आपको लिखे. मृणालिनी और विक्रम के बीच ऐसा एक सीन था. उनकी फर्स्ट डेट्स से पहले वाला एक सीन ऐसा था. इसे करना आसान नहीं था और आम दर्शकों ने भी इसे समझा. इसके अलावा एक जो बहुत खास बात हुई कि गुजरात से कई लोग थे, जो विक्रम साराभाई को जानते थे. उनसे मिल चुके थे. उन्होंने अभिनय देखकर कहा कि हम पूरी तरह से आश्वासत हो गये थे कि यही विक्रम साराभाई है.
बीते सीजन का सबसे मुश्किल दृश्य आपके लिए क्या रहा था?
हर एक दृश्य की अपनी चुनौती होती है. कई बार लंबे सीन होते थे. कई साइंटिफिक सीन्स जिम सर्भ और मेरे होते थे. वो सिंगल शॉट में हमें करना होता था. उसका एक अपना मजा होता है. जिम ने स्टेज पर काफी समय बिताया है. मैंने भी काफी समय तक नाटक किया है. वैसे सीन तभी मजेदार बनता है, अगर उसमें जोर लगाना पड़े, कड़ी मेहनत करनी पड़े.
दोबारा उसी किरदार को उसी तरह से जीना कितना आसान या मुश्किल होता है?
एक एक्टर का यही काम होता है. वैसे मैं बताना चाहूंगा कि हमने पहले सीजन के साथ ही दूसरे सीजन की काफी शूटिंग कर ली थी. अभी हमें सिर्फ 30 प्रतिशत ही शूटिंग करनी थी. अभय पन्नू बहुत ही उम्दा डायरेक्टर हैं. सीरीज और किरदारों की एकरूपता ना टूटे, इसलिए उन्होंने ये किया.
आप वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की भूमिका में हैं. उनके किरदार ने निजी जिंदगी में आपको क्या सिखाया?
बहुत सारी बातें मैंने डॉ विक्रम साराभाई से सीखीं. विज्ञान के जरिये वह लोगों के जीवन को आसान बनाना चाहते थे. वह आम लोगों के वैज्ञानिक थे. हम अपनी-अपनी रिसोर्स को सही तरह से इस्तेमाल करें, तो हम क्या नहीं कर सकते हैं. अपने आसपास से लोगों से लेकर पूरे देश के लिए हम बहुत कुछ कर सकते हैं.
इस सीजन की शूटिंग कहां हुई?
हमने अलग-अलग शहरों में शूट किया है. बीते सीजन में ही हेरिटेज बिल्डिंग्स देखने को मिली थी. यह बहुत ही रूटेड कहानी है. अपनी कहानी और कहानी के बयां करने के तरीके में पूरी तरह से जमीनी हकीकत दिखायी गयी है. ऐसा नहीं है कि सफलता मिलने के बाद हमने अपनी जमीन छोड़ दी. मुंबई और अहमदाबाद तो कहानी की पृष्ठभूमि है ही, दिल्ली की भी अहमियत है इसमें. इसरो में अपने काम को लेकर होमी और साराभाई विदेश भी ट्रैवल किया करते थे, तो आपको एक अलग ही लैंडस्केप देखने को मिलेगा.
निजी जिंदगी में साइंस में आपकी कितनी रुचि रही है?
मैं साइंस का स्टूडेंट रहा हूं. हालांकि मैंने स्कूल में ज्यादा पढ़ाई नहीं की. मुझे उसका अफसोस है. मुझे लगता है कि मुझे पढ़ना चाहिए था. कॉलेज में आकर मैं अच्छा स्टूडेंट बन गया था. सीजन 1 की शूटिंग से पहले जब हम किरदार की तैयारी कर रहे थे, तब लॉकडाउन का वक्त था. भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने के लिए मैंने विक्रम साराभाई पर उपलब्ध ढेरों किताबें पढ़ीं. अहमदाबाद में उनके बचपन के दिनों से लेकर कैंब्रिज में उनकी शिक्षा तक, उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में खूब पढ़ा. मैंने रॉकेट विज्ञान की मूल बातें और इसके विकास का भी अध्ययन किया. फिर सोचा कि चलो स्कूल की साइंस बुक भी पढ़ लेता हूं. पुरानी किताबें जब आप उठाते हैं, तो पुरानी यादें भी ताजा हो जाती हैं.
अभिनेता जिम सर्भ संग आपकी ऑफ स्क्रीन बॉन्डिंग कैसी है?
पूरी स्टारकास्ट के साथ जबरदस्त बॉन्डिंग थी. शूटिंग के बाद खाली वक्त में कभी हम साथ में टेबल टेनिस खेलते थे. कभी कुछ और चीजों में साथ समय बिताते थे. ऑफ स्क्रीन जब आप एक-दूसरे के संग इतना सहज हो जाते हैं, तो वो सहजता ऑफ स्क्रीन भी नजर आने लगती है.
आप ‘पाताल लोक’ और ‘रॉकेट बॉयज’ से काफी सराहना बटोर चुके हैं. क्या कभी लगता नहीं कि फिल्मों में भी कुछ करना चाहिए?
फिल्मों में जरूर करेंगे. इसमें कोई दो राय नहीं है. मैंने भी शाहरुख़ खान की फिल्मों को देखकर ही एक्टर बनने का फैसला किया था, लेकिन मैं इसे ऐसा नहीं देखता हूं. ओटीटी में भी वही फिल्ममेकर, राइटर और प्रोडयूसर हैं. आर्टिस्ट के तौर पर आप अच्छा काम करना चाहते हैं. हम एक बड़े ही मुश्किल दौर से निकले हैं. बिजनेस को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है. दर्शकों की आदत बदली है. अभी हर आदमी इस गणित को समझने में लगा हुआ है कि क्या थिएटर में चलेगा और क्या ओटीटी के लिए सही रहेगा.
आप एक दशक से इंडस्ट्री में हैं. क्या कभी ऐसा लगा कि शुरुआत में आपको वैसे मौके नहीं मिले, जैसे मिलने चाहिए थे?
मुझे लगता है कि इंडस्ट्री मेरे साथ फेयर रही है. जिस समय मुझे जितना काम आता था, मुझे उतना ही मिला है. ना कम मिला और ना ज्यादा. मैं इस बात को पूरी ईमानदारी से बोल रहा हूं. आदमी को नेचुरल ग्रोथ की तरह देखना चाहिए. वैसे स्ट्रगल अभी भी खत्म नहीं हुआ है. इसे मैं अच्छा वाला स्ट्रगल कहूंगा. पहले बेसिक चीजों के लिए स्ट्रगल करना पड़ता था. बीते दो वर्षों से सिर्फ काम ही काम किया है. काम नहीं था, तो मैं एक्टर के तौर पर खुद को तैयार कर रहा था. मैं हमेशा बिजी रहा. मैं अपने क्राफ्ट पर काम करता हूं. जो चीजें मुझे ग्राउंडेड रखती हैं, उस पर काम करता हूं.
सोशल मीडिया पर आपने सिक्स पैक वाली तस्वीर शेयर की है. क्या किसी खास प्रोजेक्ट के लिए?
बचपन से मुझे उसका भी शौक रहा है. मैं एक स्पोर्ट्स पर्सन रह चुका हूं. मैंने टेबल टेनिस में दो नेशनल भी जीता है. नौ से अधिक बार खेला हूं. यह बॉडी किसी प्रोजेक्ट के लिए तो नहीं है, मगर उम्मीद करता हूं कि कहीं काम आ जाये.