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चतरा के सुदूर गांव से निकल रोशन ने MNC में बनायी जगह, उच्च शिक्षा हासिल करने वाले गांव के पहले युवा

अंबाटांड़ चतरा के रोशन कुमार जल्द ही मल्टीनेशनल कंपनी (एमएनसी) कॉग्निटस से बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुड़ेंगे. रोशन यह उपलब्धि हासिल करनेवाले अपने गांव के पहले युवा हैं. इसके लिए उन्होंने लगातार परिश्रम किया. आइआइटी संस्थान में अपनी जगह नहीं बना पाये, लेकिन सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ा.

रांची, अभिषेक रॉय. अंबाटांड़ चतरा के रोशन कुमार जल्द ही मल्टीनेशनल कंपनी (एमएनसी) कॉग्निटस से बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुड़ेंगे. रोशन यह उपलब्धि हासिल करनेवाले अपने गांव के पहले युवा हैं. इसके लिए उन्होंने लगातार परिश्रम किया. आइआइटी संस्थान में अपनी जगह नहीं बना पाये, लेकिन सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ा. खुद के स्किल और नॉलेज डेवलपमेंट पर काम किया. एमआइए डिजिटल यूनिवर्सिटी स्पेन से मान्यता प्राप्त संस्था न्यूटन स्कूल से जुड़े और मास्टर डिग्री पूरी की. कैंपस प्लेसमेंट में शामिल हुए. चार अप्रैल को कैंपस प्लेसमेंट के अंतिम चरण का परिणाम जारी हुआ. रोशन को छह माह की ट्रेनिंग पीरियड में लगभग सात लाख रुपये का वार्षिक पैकेज मिलेगा. किसान परिवार से आनेवाले रोशन की इस सफलता से न सिर्फ उनका परिवार, बल्कि पूरा गांव उत्सुक है.

जंगल के बीचों-बीच में है रोशन का गांव

रोशन का गांव अंबाटांड़ इलाके में जंगल के बीचों-बीच है, जहां बमुश्किल 18 से 20 परिवार रहते हैं. 2003 में पहली बार गांव में प्राइमरी स्कूल खुला. रोशन इस सरकारी स्कूल की पहली कक्षा के एकमात्र छात्र थे. इससे शिक्षक ने भी उन्हें बेहतर शिक्षा दी. बड़े शहर की चकाचौंध से रूबरू कराया. हाइस्कूल के लिए रोशन को पांच किमी दूर पैदल जाना पड़ता था. बारिश के दिनों में नदी उफान होने से सड़क बाधित होती थी, जिससे स्कूल नहीं जा पाते थे. रोशन ने बताया कि हाइस्कूल में एक शिक्षक ने अच्छी पढ़ाई के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) की जानकारी दी. बिना परिवार को बताये रोशन ने जेएनवी के लिए आवेदन कर दिया और प्रवेश परीक्षा की तैयारी जुट गये. अंतत: उन्होंने परीक्षा में सफल होकर जेएनवी चतरा में अपनी जगह बनायी.

साइंस विषय की रुचि को जिद में बदला

रोशन ने बताया कि जेएनवी की पहली परीक्षा में साइंस और मैथ्स में अच्छे अंक मिले. इसके बाद साइंस को जानने की जिद बढ़ गयी. 10वीं से जेइइ एडवांस को लक्ष्य बनाया. इससे जेइइ मेन से सफल होकर बीआइटी सिंदरी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में जगह बना सके. 2021 में प्लेसमेंट के क्रम में टीसीएस की नौकरी छोड़ गेट परीक्षा के जरिये आइआइटी में दाखिले का लक्ष्य बनाया, लेकिन कुछ अंकों कम रहने के कारण चयन नहीं हो सका.

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