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राउरकेला सरकारी अस्पताल डीएमएफ के भरोसे, मांगों पर सरकार उदासीन

राउरकेला सहित सुंदरगढ़ जिले के 10 से अधिक ब्लॉकों में लाखों लोग राउरकेला सरकारी अस्पताल (आरजीएच) पर इलाज के लिये निर्भर हैं. इनमें से कई झारखंड और छत्तीसगढ़ से आते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | March 24, 2023 1:03 PM

Rourkela Government Hospital: राउरकेला सरकारी अस्पताल पर पूरे सुंदरगढ़ जिला समेत ओडिशा के तीन जिले व पड़ोसी राज्य झारखंड और छत्तीसगढ़ तक के मरीज स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निर्भर हैं. लेकिन, यहां आने वाले मरीजों को अस्पताल में व्याप्त असुविधाओं के कारण अक्सर समस्याओं का सामना करना पड़ता है. राउरकेला को स्वास्थ्य सेवा के मामले में वर्षों से उपेक्षित रखा गया है.

कई वर्षों से राउरकेला को उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए स्वास्थ्य जिला बनाने की मांग की जाती रही है. इसे लेकर सरकार ने कई वादे भी किये. लेकिन, आज तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. जबकि राजनीतिक दलों, विभिन्न संघों की ओर से समय-समय पर इस मांग को लेकर धरना- प्रदर्शन किया जा चुका है. इसके बाद भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.

ओपीडी में 1000, आइपीडी में रोज आते हैं 500 मरीज

राउरकेला सहित सुंदरगढ़ जिले के 10 से अधिक ब्लॉकों में लाखों लोग राउरकेला सरकारी अस्पताल (आरजीएच) पर इलाज के लिये निर्भर हैं. इसके अलावा, आरजीएच सुंदरगढ़ की सीमा से सटे पड़ोसी झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई जिलों के लोगों के लिए एक उम्मीद बन गया है. यहां बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में प्रतिदिन 1000 से अधिक और आंतरिक चिकित्सा विभाग (आईपीडी) में 500 से अधिक रोगी भर्ती होते हैं. इनमें से कई झारखंड और छत्तीसगढ़ से आते हैं. लेकिन मरीजों की संख्या के अनुपात में न तो डॉक्टर हैं और न ही बेड. आवश्यक बुनियादी सुविधाएं भी नदारद हैं.

प्रखंड मुख्यालयों में पीएचसी-सीएचसी की हालत भी दयनीय

जिले के बिसरा, नुआगांव, गुरुंडिया, कोइड़ा, लहुणीपाड़ा, लाठीकटा, कुआरमुंडा आदि प्रखंडों में पीएचसी व सीएचसी की स्थिति दयनीय है. सुंदरगढ़ से कम से कम 150 किलोमीटर दूरी बिसरा, कोइड़ा, नुआगांव, कुआरमुंडा, लाठीकटा, बणई, लहुणीपाड़ा और गुरुंडिया प्रखंड के अस्पतालों पर जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) का कोई पर्यवेक्षण या नियंत्रण नहीं है. सीडीएमओ के लिए इन अस्पतालों का नियमित दौरा करना भी संभव नहीं है.

ये सभी अस्पताल एक चिकित्सक के भरोसे हैं, नतीजतन मरीज आरजीएच आने को मजबूर हैं. यह स्थिति वर्षों से चली आ रही है. मरीजों की संख्या को देखते हुए आरजीएच को 400 बेड का अस्पताल घोषित कर दिया गया है, लेकिन यह घोषणा कागजों तक ही सीमित है.

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