BHU Foundation Day: पूर्ण गणवेश और घोष की थाप, बसंत पंचमी पर कुछ यूं स्वयंसेवकों ने किया पथसंचलन
BHU Foundation Day, Basant Panchami 2022: वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस व बसन्त पंचमी के अवसर पर स्वयंसेवकों ने सधे कदमों के साथ अनुशासनबद्ध होकर नवीन गणवेश में पथसंचलन किया.
BHU Foundation Day, Basant Panchami 2022: वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस व बसन्त पंचमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवकों ने सधे कदमों के साथ अनुशासनबद्ध होकर नवीन गणवेश में पथसंचलन किया. स्वास्थ्य केन्द्र के निकट कृषि मैदान से शुरू स्वयंसेवकों का पथ-संचलन सभी विभागों से होते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना स्थल तक जाकर सम्पन्न हुआ.
संघ संस्थापकों, भारत माता तथा भारतरत्न पं. मदन मोहन मालवीय के विशाल चित्र के पीछे-पीछे पूर्ण गणवेश में पंक्तिबद्ध होकर स्वयंसेवकों ने घोष की थाप पर समता से पथ संचलन किया. सिंहद्वार सहित अनेक स्थानों पर लोगों ने पथसंचलन का स्वागत किया.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पथ संचलन का कार्यक्रम स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोजित हुआ. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हजारों सदस्यों ने पथ संचलन करते हुए इस साल भी अपनी इस परंपरा का नियमपूर्वक निर्वहन किया. कृषि विज्ञान संस्थान से पथ संचलन शुरू हुआ जो कि सभी फैकल्टी से होते हुए सिंह द्वार पर पहुंचा.
पथ संचलन के दौरान संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरूजी, भारत माता व भारतरत्न पं. मदन मोहन मालवीय के विशाल चित्र के पीछे-पीछे पूर्ण गणवेश में पंक्तिबद्ध होकर स्वयंसेवकों ने घोष की थाप पर समता से पथ संचलन किया. सभी स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में दंड लेकर घोष वादन की धुन पर एक साथ चहलकदमी की.
पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद पथ संचलन BHU के स्थापना स्थल पर पहुंचा. यहां वंदे मातरम गायन के बाद कार्यक्रम का समाप्त हो गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता BHU के डीन ऑफ स्टूडेंट प्रोफेसर केके सिंह ने की.
इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मेहता (पूर्व अपर महासॉलिसिटर भारत सरकार) ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने स्वयं सेवकों के लिए एक विशेष भवन निर्मित कराया था, जो कि आपातकाल के दौरान भेंट चढ़ गई. पहले ये जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माण की फैक्ट्री हुआ करती थी.
उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय की इच्छा थी कि हर विश्वविद्यालय में विज्ञान और तकनीकी विषय का अध्यापन हिंदी में हो. दुर्भाग्य है कि पिछले 70 साल में ऐसा नहीं हुआ. लेकिन अब इच्छुक छात्रों को तकनीकी संस्थानों में सात भारतीय भाषाओं में अध्ययन का अवसर मिलेगा. अंग्रेजी भाषा की महत्वता छात्रों के लिए समझते हुए प्रसिद्ध नेता सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने तो काशी हिंदू विश्वविद्यालय में तब तक अपनी निःशुल्क सेवा देने का प्रस्ताव रखा. जब तक कोई इस विषय में योग्य विद्वान नहीं मिल जाता.
बसन्त पंचमी के दिन पीले वस्त्रों के प्रयोग की विशेषता हैं. इसके पीछे का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण ये है कि बसंत पंचमी का पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है. यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है. सनातन धर्म में इसे आत्मिक रंग अर्थात आत्मा या अध्यात्म से जोड़ने वाला रंग बताया है. पीला रंग सूर्य के प्रकाश का है यानी यह ऊष्मा शक्ति का प्रतीक है. यह रंग डिप्रेशन दूर करने में कारगर है. यह उत्साह बढ़ाता है और दिमाग सक्रिय करता है. नतीजतन दिमाग में उठने वाली तरंगें खुशी का अहसास कराती हैं. यह आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है. हम पीले परिधान पहनते हैं तो सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष रूप से दिमाग पर असर डालती हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत में संघ का भगवा ध्वज लगाया गया था. कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय डॉ. रघुनाथ मोरे ने कराया. इस दौरान काशी विभाग के संघचालक जयप्रकाश लाल, भाग संघचालक सुनील, नगर संघचालक आरएन चौरसिया, विभाग प्रचारक कृष्णचंद्र, राघवेंद्र, देवर्षि और विपिन समेत जिले के सभी स्वयंसेवक उपस्थित थे.
फोटो रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी