UP Election 2022: रूहेलखंड की सियासत में बड़ा नाम माने जाने वाले पूर्व सांसद कुंवर सर्वराज सिंह के पुत्र सिद्धराज सिंह गुरुवार को बीजेपी में शामिल हो गए. उनको लखनऊ में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने पार्टी में शामिल कराया. उनका बदायूं की बिल्सी सीट से टिकट तय माना जा रहा है. वो पिछली बार आंवला विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे. जिसमें पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह से हार मिली थी.
सिद्धराज के पिता कुंवर सर्वराज सिंह आंवला लोकसभा सीट से तीन बार सांसद और बिथरी चैनपुर (सन्हा) विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. सिद्धारज सिंह के भाजपा में जाने से रूहेलखंड की सियासत के सियासी समीकरण बदलने तय हैं. उनके पिता को ठाकुर समाज का बड़ा नेता माना जाता है.
नौकरी छोड़कर सियासत में एंट्री करने वाले सिद्धारज सिंह ने 2017 का विधानसभा चुनाव सपा की टिकट पर आंवला सीट से लड़ा था. उनको चुनाव में 59,619 वोट मिले. वो दूसरे नंबर रहे थे. चुनाव में पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी. उनके साथ बरेली और बदायूं के प्रमुख लोग भी भाजपा में शामिल हुए हैं. उनका बदायूं की बिल्सी सीट से टिकट तय माना जा रहा है. इस सीट से भाजपा के आरके शर्मा विधायक हैं. उनके किसी अन्य दल की टिकट पर आंवला सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा हैं.
सिद्धराज सिंह के पिता पूर्व सांसद कुंवर सर्वराज सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा को अलविदा कहकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. वो कांग्रेस से चुनाव लड़े थे. मगर, भाजपा के धर्मेन्द्र कश्यप से चुनाव हार गए थे. अभी वो भाजपाई नहीं हुए हैं. वो पहले ही सियासी विरासत बेटे को ट्रांसफर करने में लगे हुए हैं. जिसके चलते माना जा रहा है कि आने वाले समय में वो अपने बेटे के साथ ही खड़े नजर आएंगे.
पूर्व सांसद कुंवर सर्वराज सिंह ने 1985 का पहला चुनाव लड़ा था. मगर, वो हार गए थे. 1989 का चुनाव जनता दल के टिकट पर सन्हा (अब बिथरी चैनपुर विधानसभा) से जीता. वो 1991 में चुनाव हार गए. लेकिन, 1993 में फिर सपा की टिकट पर जीत दर्ज की थी. 1996 और 1999 में सपा की टिकट पर आंवला लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने. 2004 में जदयू की टिकट से चुनाव जीता था.
2009 में बसपा, 2014 में सपा और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. वो जीत नहीं सके थे. पूर्व सांसद कुंवर सर्वराज सिंह को प्रोफेसर रामगोपाल यादव का करीबी माना जाता था. सपा-बसपा के गठबंधन में उन्हें टिकट नहीं मिला. वो कांग्रेस में चले गए. वो दो बार सपा और एक बार जदयू से चुनाव जीत चुके हैं.
(रिपोर्ट:- मुहम्मद साजिद. बरेली)
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