Russia-Ukraine crisis: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच फंसी झारखंड की आदिम जनजाति आदिवासी बेटी लतिका ठिठियो रविवार की शाम सकुशल झारखंड पहुंच गयी. रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर पहुंचते ही लतिका के चेहरे खिल उठे, वहीं उनके परिजनों ने जोरदार स्वागत किया. वतन वापसी पर उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि सरकार की पहल से हम जैसे छात्रों की वतन वापसी हो पायी. बता दें कि लतिका उक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है.
रांची एयरपोर्ट पर अपने परिजनों से मिलते ही लतिका की आंखें डबडबा गयी. वहीं, परिजन भी अपनी खुशी रोक नहीं पाये. लतिका ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने हम जैसे छात्रों की वतन वापसी में अहम भूमिका निभायी है. उनके आभार को कभी भूलाया नहीं जा सकता.
लातेहार जिला अंतर्गत महुआडांड़ प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र दुरुप पंचायत के दौना गांव की रहने वाली आदिम जनजाति लतिका ठिठियो रूस-यूक्रेन में युद्ध के कारण वहां फंस गयी थी. पिछले 4 साल से पढ़ाई के सिलसिले में उक्रेन में रह रही है. अभी उसकी पढ़ाई 2 साल और बाकी रह गया है. युद्ध शुरू होने के कारण लतिका ने उक्रेन से संदेश भेजा था कि उन्होंने फ्लाइट से वापसी का टिकट तो करवा लिया था. अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट कीवा भी पहुंच चुकी थी, लेकिन एन वक्त पर फ्लाइट रद्द हो जाने के कारण वो फंस गई है.
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उस वक्त लतिका ने संदेश भेजा था कि उक्रेन के 1 B कुचमईन, यार स्ट्रीट क्वीव 03035 में फंसी है. लतिका ने कहा था कि हर वक्त बमों के आक्रमण से लोग त्राहिमाम हैं. हम जैसे भारतीय अपने वतन वापसी को व्याकुल हैं. इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार से वतन वापसी की गुहार लगा रही थी और यह गुहार रविवार को पूरा हो गया. जब लतिका अपने देश और फिर अपने राज्य की जमीं पर कदम रखी.
रिपोर्ट : वसीम अख्तर, लातेहार.