केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड
हिंदू धर्म के अनुनायियों के लिए केदारनाथ सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिदूं धर्म के उत्तरांचल के चार धाम और पंच केदार में गिना जाता है. केदारनाथ का मंदिर साढ़े तीन हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर बना एक विशाल मंदिर है. यह मंदिर अप्रैल महीने से नवंबर तक खुला रहता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है. वाराणसी को काशी और बनारस भी कहा जाता है. यह मंदिर काशी में दशाश्वमेध घाट पर स्थित है और थोड़ी ही दूरी पर गंगा नदी बहती है. शिवभक्त पहले गंगा नदी में स्नान करते हैं, इसके बाद ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मंदिर में पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से भक्तों के लिए मोक्ष का द्वार खुल जाता है और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.
महाकालेश्वर, मध्यप्रदेश
भारत में पर्यटकों की पसंद कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के उज्जैन में सलिला शिप्रा नदी के पास स्थित है भगवान शिव का ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’. कहा जाता है कि महाकालेश्वर में दर्शन करने वाले भक्तों का काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता. इसे पृथ्वी का एकमात्र मान्य शिवलिंग भी माना जाता है. सावन महीने में यहाँ पर्यटकों की काफी भीड़ देखी जाती हैं.
अमरनाथ धाम, जम्मू-कश्मीर
श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर दूर स्थित अमरनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं अमरनाथ गुफा में विराजमान हैं. अमरनाथ गुफा के अंदर हिम शिवलिंग के दर्शन मात्र से ऐसी मान्यता है कि लोगों को 23 पवित्र तीर्थस्थानों के दर्शन जितना पुण्य मिलता है.
वैद्यनाथ धाम, झारखंड
झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ धाम (बाबाधाम) बहुत महत्त्वपूर्ण है और यहाँ के कामना लिंग को सर्वाधिक महिमामंडित कहा जाता है. इसके शिखर पर त्रिशूल के बजाय ‘पंचशूल’ होता है जिसे सुरक्षा कवच माना जाता है और यही बात इस मंदिर को खास बनाती है. वैसे तो साल भर यहाँ भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन सावन के दौरान पूरा मंदिर केसरिया पहने शिवभक्तों से रंग जाता है.
लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर
भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर हिंदुओं के लिए पवित्र स्थान माना जाता है और यह सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की प्रत्येक शिला पर बेहतरीन कारीगरी का नमूना देखने को मिलेगा. इसकी ऊंचाई 180 फीट है. मंदिर के प्रांगण में गौरी, गणेश और कार्तिकेय के भी मंदिर मौजूद हैं. सावन महीने में यहाँ पर्यटकों की काफी भीड़ देखी जाती हैं.
ताराकेश्वर मंदिर, पश्चिम बंगाल
कोलकाता से 85 किलोमीटर दूर हुगली जिले में तारकेश्वर नाम का शहर है, जहाँ प्रसिद्ध तारकेश्वर मंदिर स्थित है. यह मंदिर तारकनाथ को समर्पित है, जो भगवान शिव का ही रूप है. यह मंदिर प्राचीन काल में जंगलों में मिला था.