झारखंड : पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला में विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति के सबर व बिरहोर, जवानी में छिन रहीं सांसें
पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत घाटशिला अनुमंडल में आदिम जनजाति के सबर और बिरहोर धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं. 10 साल पहले करीब पांच हजार परिवार थे, लेकिन अब 3634 सबर परिवार ही बचे हैं. हाल के दिनों जिला प्रशासन सबरों के संरक्षण की गंभीरता को लेकर कई कदम उठा रहे हैं.
घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम) मो परवेज : पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत घाटशिला अनुमंडल से आदिम जनजाति समाज के सबर और बिरहोर धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं. करीब 10 साल पहले अनुमंडल में सबर-बिरहोर के करीब पांच हजार परिवार थे. वर्तमान में 3634 परिवार हैं. हालांकि, इनके संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है. इसी साल एक फरवरी से 13 फरवरी तक जिला प्रशासन ने विशेष कैंप अभियान चलाया. इस दौरान परिवारों का सर्वे किया. इसके अनुसार अनुमंडल के सात प्रखंडों में कुल 3634 सबर-बिरहोर परिवार हैं. 10 साल पहले पांच हजार से अधिक परिवार के होने का दावा ग्रामीण व पंचायत करती है. सही आंकड़ा विभाग के पास नहीं है.
शराब सेवन से बीमार होकर मर रहे सबर
आदिम जाति के सबर लगातार बीमारी से मर रहे हैं. अधिक शराब सेवन से कुपोषण, टीबी, एनीमिया जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इनकी जिंदगी जंगल से शुरू होकर जंगल में खत्म हो जाती है. इनकी औसत उम्र 40 से 45 वर्ष है. सबर बच्चियों की कम उम्र में विवाह भी एक बड़ा कारण है. घाटशिला प्रखंड के दारीसाई सबर बस्ती में आधे दर्जन परिवार में एक भी सदस्य नहीं है. घर में चिराग जलाने वाला कोई नहीं है.
अनाथ सबर बच्ची की ‘नाथ’ बनीं डीसी
डीसी विजया जाधव ने दारीसाई की एक अनाथ सबर बच्ची सोमवारी सबर को गोद लेकर मिसाल कायम की. सोमवारी के पिता लालटू व मां की मौत हो चुकी है. डीसी ने बच्ची को गोलमुरी आवासीय विद्यालय में अभिभावक के कॉलम में हस्ताक्षर कर दाखिला कराया. उसकी देखभाल स्वयं डीसी कर रही हैं.
Also Read: 28 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र, झारखंड कैबिनेट में 35 प्रस्तावों पर लगी मुहर, पढ़ें पूरी खबरसबरों की मौत कई कारणों से जल्द हो जाती है : डुमरिया बीडीओ
डुमरिया के बीडीओ साधुचरण देवगम ने कहा कि डुमरिया प्रखंड में सबरों की आबादी करीब 3500 है. यहां सबरों की संख्या बढ़ी है. 2021 में यहां 601 परिवार थे. अभी 677 परिवार को राशन दिया जा रहा है. यह सच है कि सबरों की मौत कई कारणों से जल्द हो जाती है. 40-45 से अधिक उम्र के बहुत कम सबर मिलेंगे. इसके कई कारण हैं, जैसे अधिक नशा पान, स्वास्थ्य सेवा से दूर व सुदूर जंगल में रहने की परंपरा. इसका उदाहरण दापांबेड़ा है. वहां न तो सड़क बन सकती है और न आसानी से बिजली पहुंच सकती है. न शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है. उनके घर तक डाकिया योजना का राशन भी नहीं पहुंच सकता. राशन के लिए उन्हें पहाड़ से नीचे आना पड़ता है. डीसी के निदे॔श पर सबरों के लिए कैंप कर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है.
अनुमंडल के प्रखंडों में वर्तमान स्थिति
प्रखंड : सबर परिवार
घाटशिला : 431
डुमरिया : 589
गुड़ाबांदा : 601
मुसाबनी : 360
चाकुलिया : 943
बहरागोड़ा : 418
धालभूमगढ़ : 292
कुल : 3634
पूर्वी सिंहभूम जिले में कुल 5253 सबर परिवार
प्रखंड : सबर परिवार
पोटका : 592
पटमदा : 488
बड़ाम : 348
जमशेदपुर : 197