कोलकाता : कभी तृणमूल कांग्रेस के लिए सेफ सीट रही दक्षिण कोलकाता की रासबिहारी विधानसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला होने के आसार हैं. इस विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार व कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर परिषद के सदस्य देवाशीष कुमार (देवा दा) चुनाव लड़ रहे हैं.
यहां सातवें चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा. प्रचार अभियान में देवा दा खूब पसीना बहा रहे हैं. इस सीट से भाजपा ने पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सुब्रत साहा को टिकट दिया है. वर्ष 2001 से ही तृणमूल कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा है.
सुब्रत साहा 40 वर्षों तक सेना में महत्वपूर्ण पदों पर सेवा दे चुके हैं. सत्तारूढ़ दल के सामने इस सीट पर जीत के इतिहास को दोहराने की बड़ी चुनौती है. तृणमूल के लिए इस बार यहां लड़ाई इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इस सीट पर लगातार चार बार से जीत दर्ज करते आ रहे राज्य के बिजली मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय को ममता बनर्जी ने इस बार अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से उतारा है.
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ममता खुद इस बार भवानीपुर की बजाय नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतरी हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भवानीपुर से सटे रासबिहारी विधानसभा क्षेत्र से जीतना भाजपा के लिए भी आसान नहीं होगा. तृणमूल के उम्मीदवार देवाशीष कुमार राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाते हैं. लंबे समय तक वह कोलकाता निगम के मेयर परिषद के सदस्य रह चुके हैं.
वहीं, पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा राजनीतिक अखाड़े में नये हैं, लेकिन सेना में उनका अनुभव काफी है. देवाशीष कुमार का कहना है कि मैं हमेशा आमलोगों के बीच रहा हूं और अपने कार्यकर्ताओं पर भी पूरा भरोसा है. उन्होंने दावा किया कि उन्हें जनता का आशीर्वाद जरूर मिलेगा.
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रासबिहारी सीट पर तृणमूल कांग्रेस को पहली बार वर्ष 2001 में जीत मिली थी. पिछले 20 साल से इस सीट पर तृणमूल का कब्जा रहा है. 2001 से 2016 तक इस विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस के शोभनदेव चट्टोपाध्याय लगातार चार बार विधायक चुने गये थे.
उन्होंने वर्ष 2016 में कांग्रेस प्रत्याशी आशुतोष बनर्जी को 14,553 वोटों से हराया था. वहीं, तीसरे स्थान पर 23,381 वोट के साथ भाजपा उम्मीदवार समीर बनर्जी थे. गौरतलब है कि यहां हिंदीभाषी मतदाताओं की संख्या अच्छी है, इसलिए भाजपा को इस सीट से उम्मीद है.
Posted By : Mithilesh Jha