प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा की गयी पूछताछ के दौरान साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव स्टीमर दुर्घटना से जुड़ी अपनी ही रिपोर्ट के तथ्य भूल गये. उन्होंने इडी के ज्यादातर सवालों का जवाब देने के लिए समय मांगा. वह सोमवार सुबह करीब 11:00 बजे इडी के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे. उनसे रात आठ बजे तक पूछताछ हुई. साथ ही सवालों का जवाब देने के लिए कुछ समय दिया.
साहिबगंज उपायुक्त के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचने के थोड़ी देर बाद इडी के अधिकारियों ने उनसे ‘स्टीमर दुर्घटना’ से जुड़े सवाल पूछना शुरू किया. इडी के अधिकारियों ने उनसे यह जानना चाहा कि साहिबगंज में काफी लंबे समय से गलत तरीके से स्टीमर चल रहा था, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. यहां तक की स्टीमर दुर्घटना के बाद भी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया.
कटिहार के जिलाधिकारी की रिपोर्ट और उनकी रिपोर्ट में भारी अंतर क्यों है? क्या उन्होंने अपनी रिपोर्ट पंकज मिश्रा के प्रभाव में लिखी थी? दुर्घटना के सिलसिले में प्रमंडलीय आयुक्त को भेजी गयी रिपोर्ट की कॉपी पंकज मिश्रा को कैसे मिली? प्रमंडलीय आयुक्त को भेजी गयी उनकी रिपोर्ट, सरकारी अधिकारियों के बीच हुआ संवाद था. यह पंकज मिश्रा को कैसे मिली? स्टीमर दुर्घटना के बाद भी उन्होंने इस संबंध में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
इडी ने उनसे प्रमंडलीय आयुक्त को भेजी गयी रिपोर्ट में वर्णित महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी उन्हीं की जुबानी मांगी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए सवालों को टाल दिया कि फिलहाल उन्हें याद नहीं है. संबंधित फाइल देखने के बाद वह इस सिलसिले में पूछे गये सवालों के जवाब सही-सही दे सकेंगे. उन्होंने सवालों का जवाब देने के लिए 10-15 दिनों का समय मांगा.
1000 करोड़ से अधिक के अवैध खनन से जुड़े सवाल भी पूछे गये उपायुक्त से : इडी ने उपायुक्त से साहिबगंज में हुए 1000 करोड़ रुपये से अधिक के अवैध खनन से जुड़े सवाल भी पूछे. इस क्रम में राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये कई आदेशों को हवाला दिया, जिसमें सरकार की ओर से अवैध खनन को हर कीमत पर रोकने का आदेश दिया गया था.
साथ ही अवैध खनन होने की स्थिति में जिले के उपायुक्त और एसपी को दोषी मानने का उल्लेख किया गया था. सरकार के इस आदेश के बावजूद जिले में अवैध खनन का सिलसिला किन परिस्थितियों में जारी रहा? क्या किसी स्तर से उन्हें खनन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का कोई दिशा निर्देश दिया गया था? इडी के इन सवालों के जवाब में उपायुक्त ने अपने स्तर से कार्रवाई करने की बात तो कही, लेकिन इससे संबंधित कोई साक्ष्य नहीं पेश कर सके.
उन्होंने विस्तृत जानकारी देने के लिए समय की मांग की. पूछताछ के पहले दौर में उनसे उनकी निजी जानकारियां मांगी गयीं. इसमें उनकी और उनके पारिवारिक सदस्यों की संपत्ति, नौकरी में आने से पहले और उसके बाद में अर्जित संपत्ति का ब्योरा मांगा गया.