रांची : 1000 करोड़ के अवैध खनन की जांच कर रहे इडी के गवाह व नींबू पहाड़ के प्रधान विजय हांसदा को बरगलाने तथा एसटी-एससी थाना में दर्ज केस की जानकारी जुटाने के लिए सीबीआइ की तीन सदस्यीय टीम शुक्रवार को साहिबगंज पहुंची. यहां पहुंचने के बाद से ही तथ्यों को जुटाने को लेकर टीम दिन भर रेस रही. टीम शुक्रवार को तीन बार कोर्ट पहुंची और रिकाॅर्ड रूम से कई दस्तावेज खंगाले.
जानकारी के अनुसार, सीबीआइ की टीम सुबह करीब 10:15 बजे सर्किट हाउस से निकलकर एडीजे कोर्ट पहुंची. यहां टीम के सदस्यों ने एसी-एसटी थाने में दर्ज मामले की कई जानकारियां लीं और सर्किट हाउस लौट आये. दोपहर 12:20 बजे टीम के सदस्य दोबारा कोर्ट पहुंचे और वहां से सीधे ओल्ड सीजेएम भवन स्थित पीपी कार्यालय में जाकर विजय हांसदा के संबंधित एसटी-एससी थाना में दर्ज मामले की पड़ताल की है.
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दोपहर 3:10 बजे टीम एक बार फिर एडीजे कोर्ट पहुंची और करीब 30 मिनट तक टीम के सदस्यों ने फिर से कई कागजात को इकट्ठे किये. सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ का आगमन मुख्य रूप से इडी के गवाह विजय हांसदा के एसटी-एससी थाने में दर्ज मामले के संबंध में है.
गौरतलब है कि 92 दिन पूर्व 24 अगस्त को सीबीआइ की टीम ने इसी मामले में साहिबगंज में पांच दिन रुक कर जांच की थी. इधर, मनी लाउंड्रिंग के आरोप में जेल में बंद पंकज मिश्रा ने नींबू पहाड़ पर अवैध खनन मामले में हाइकोर्ट द्वारा दिये गये सीबीआइ जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. वहीं, दूसरी तरफ विजय हांसदा ने भी याचिका दायर की थी, जिसमें कहा था कि उसके द्वारा जमानत याचिका दायर करने के लिए वकालतनामा पर किये गये हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल किया गया है. इसी वकालतनामा के सहारे जमानत याचिका दायर करने के बदले दर्ज प्राथमिक की जांच दूसरी एजेंसी से करने की मांग की थी. इसकी सुनवाई पर हाइकोर्ट में सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
नींबू पहाड़ के प्रधान विजय हांसदा की ओर से अवैध खनन को लेकर एससी-एसटी थाने में दर्ज कराये मामले में पुलिस ने अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया था. मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में पुलिस ने सूचक विजय हांसदा का 164 के तहत एसडीजेएम के न्यायालय में बयान कलमबद्ध कराया था. इसके बाद एसडीपीओ राजेंद्र दुबे ने 26 अक्तूबर 2023 को अनुसंधान के बाद कांड को असत्य पाते हुए अंतिम प्रतिवेदन समर्पित किया था. अपने बयान में विजय हंसदा ने बताया है कि केस के बारे में वह नहीं जानता है. अशोक यादव, जो मुंगेरी लाल का आदमी है, उसने कागज में हस्ताक्षर करा लिया. उसे अवैध खनन के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सीबीआइ की टीम ने उस अभिलेख का अवलोकन किया और लौट गयी.