Saina Movie Review
फ़िल्म – साइना
निर्माता – टी सीरीज
निर्देशक- अमोल गुप्ते
कलाकार- परिणीति चोपड़ा,मेघना मलिक,मानव कौल, एहसान नकवी, शुभरज्योति,नायशा कौर भटोये और अन्य
रेटिंग- तीन
निर्देशक अमोल गुप्ते की यह स्पोर्ट्स ड्रामा फ़िल्म भारतीय खेल लीजेंड साइना नेहवाल की ज़िंदगी की कहानी है. जिसने विश्वभर में भारतीय बैडमिंटन का परचम लहराया है. यह फ़िल्म सानिया के बैडमिंटन में मिली अविश्वसनीय जीत की कहानी भर नहीं है. यह एक माँ के विश्वास की कहानी है.जिसने अपनी बेटी की परवरिश कुछ इस कदर की है कि जीत से कम में कभी उसे सुकून ना मिले. यह जीत की लगन की कहानी है. मां के सपनों को पूरा करने की कहानी है. चैंपियन कोई होता नहीं है खुद को बनाना पड़ता है.एक चैंपियन को बनाने में कितने लोगों का श्रेय होता है।यह फ़िल्म उस बात को भी पुख्ता तौर पर दर्शाती है.
यह फ़िल्म आठ साल की साइना से उसके वर्ल्ड चैंपियन बनने को पर्दे पर लेकर आता है. साइना जब फिनिश्ड ऑफ करार दी गयी थी फिर उसने कैसे सभी आलोचनाओं पर पूर्ण विराम लगा खुद को साबित किया. ये पहलू भी फ़िल्म में है. अच्छी बात है कि फ़िल्म में महिमामंडन या अति नाटकीय कुछ भी नहीं है. साइना के संघर्ष को बढ़ा चढ़ाकर नहीं दिखाया गया है.
फ़िल्म की कहानी को सिंपल लेकिन प्रभावी तरीके से कहा गया है.इमोशन भी है लेकिन उतना जो कहानी निखारे उसे बोझिल ना बनाए. ऐसा ही दृश्य फ़िल्म में उस वक़्त है जब सानिया एक इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने जाती है औऱ उसकी माँ उस वक़्त ज़िन्दगी और मौत से जूझ रही होती है.
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साइना एक अच्छी फिल्म है लेकिन यह और यादगार हो सकती थी. सानिया के वर्ल्ड चैंपियन बनने पर उनके विरोधी खिलाड़ियों पर भी थोड़ा और फोकस करने की ज़रूरत थी. फ़िल्म साइना से जुड़ी वही बातें ला पायी हैं जिनसे लगभग हर कोई परिचित है.पी वी सिंधु और उनकी प्रतिस्पर्धा का जिक्र क्यों नहीं हुआ.
फ़िल्म की दूसरी खामियों की बात करें तो कंटिन्यूटी में थोड़ी कसर रह गयी है. परिणीति के चेहरे का मस्सा बड़ा छोटा होता रहता है.फ़िल्म में साइना की बहन के किरदार को ज़्यादा तवज्जो नहीं दी गयी है.मुश्किल से एक संवाद भी नहीं है।यह पहलू अखरता है.
Posted By : Budhmani Minj