‘थैंक्यू आपने दो जिंदगियां बचा ली…’, ये रील हीरो बने हैं रियल हीरो, कुछ इस तरह लोगों की कर रहे मदद
देश में महामारी के बीच लोग जहां अस्पतालों में बेड और ज़रूरी मेडिकल सेवाओं के लिए भटक रहे हैं. ऐसे में लोग सोशल मीडिया को एक बहुत बड़ा हथियार बनाकर लोगों की जरूरतें मुहैया करवा रहे हैं. पीड़ा और आतंक की इस घड़ी में ग्लैमर इंडस्ट्री के भी कई चेहरे आम लोगों के मददगार बनें हैं. सोनू सूद के नाम के साथ साथ इस साल कई और सेलिब्रिटीज के नाम जुड़ गए हैं. जो इस मुश्किल घड़ी में जरूरतमंदों को सोशल मीडिया में अपनी लोकप्रियता और अथक प्रयास से बेड, ऑक्सीजन,वेंटिलेटर, डॉक्टर्स मुहैया करवा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने वॉलिएंटर्स की टीम भी बनायी है. उर्मिला कोरी की रिपोर्ट
देश में महामारी के बीच लोग जहां अस्पतालों में बेड और ज़रूरी मेडिकल सेवाओं के लिए भटक रहे हैं. ऐसे में लोग सोशल मीडिया को एक बहुत बड़ा हथियार बनाकर लोगों की जरूरतें मुहैया करवा रहे हैं. पीड़ा और आतंक की इस घड़ी में ग्लैमर इंडस्ट्री के भी कई चेहरे आम लोगों के मददगार बनें हैं. सोनू सूद के नाम के साथ साथ इस साल कई और सेलिब्रिटीज के नाम जुड़ गए हैं. जो इस मुश्किल घड़ी में जरूरतमंदों को सोशल मीडिया में अपनी लोकप्रियता और अथक प्रयास से बेड, ऑक्सीजन,वेंटिलेटर, डॉक्टर्स मुहैया करवा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने वॉलिएंटर्स की टीम भी बनायी है. उर्मिला कोरी की रिपोर्ट
थैंक्यू आपने दो जिंदगियां बचा ली- गुरमीत चौधरी
दिल्ली की रहने वाली एक गर्भवती महिला की हालात बहुत नाजुक थी अगर समय पर रेमेडिसिविर का इंजेक्शन नहीं मिलता तो आज वो और उसका अजन्मा बच्चा दोनों ही दुनिया में नहीं होते थे लेकिन अभिनेता गुरमीत चौधरी ने उन्हें समय पर प वो दवा मुहैया करवा दी. जो उनके परिजनों को कहीं से भी नहीं मिल पा रही थी. उस घटना का जिक्र करते हुए गुरमीत बताते हैं कि मैं उस वक़्त देहरादून में शूट कर रहा था. मुझे कॉल आया कि इंजेक्शन की मदद चाहिए. मैंने तुरंत अपने परिचित लोगों और टीम को कॉल किया. लोगों को ये आसान लग सकता है लेकिन ये आसान नहीं होता है.
कॉल सेंटर जैसे आपको काम करना पड़ता है. एक रिक्वेस्ट के लिए आपको एक से डेढ़ घंटे लगातार अलग अलग लोगों को कॉल करना पड़ता हैं तो काम होता है।कई लोगों को कॉल करने के बाद आखिरकार इंजेक्शन मिल गया. दो घंटे बाद मैसेज आया कि थैंक्यू आपने दो जिंदगियों को बचा लिया. वो मैसेज पढ़कर इतनी खुशी हुई कि मैं बयां नहीं कर सकता. आम जनता ने हमें हीरो बनाया है अब असली हीरो बनने का समय आया है.वो भी उनके लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती है. मुझे लगता है कि एक्टर्स को छिपा कर मदद नहीं करनी चाहिए बल्कि बताना चाहिए क्योंकि इससे दूसरे लोग खासकर उनके फैंस मोटिवेट होते हैं.अच्छा करने के लिए.
अब नहीं तो कभी नहीं- विनीत कुमार सिंह
मुक्काबाज़ फेम एक्टर विनीत कुमार सिंह अपने परिवार समेत खुद भी कोविड पॉजिटिव हो गए थे. उनका कहना है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वे ज़रूरतमंदों के लिए इस तरह से आगे आएंगे लेकिन अपने कोविड इलाज के दौरान उन्होंने लोगों की बेबसी और परेशानी को करीब से देखा. उन्हें लगा कि अभी नहीं तो कभी नहीं. विनीत बताते हैं कि मैंने दो तीन लोगों की मदद की उनसे जुड़े लोगों ने खासकर युवा लड़के लड़कियों ने मुझे थैक्स कहने के साथ कहा कि आप बताइए आपके लिए क्या कर सकते हैं. ऐसे मुझे वॉलिएंटर्स मिले. उनकी पोस्ट देखकर जो मेरे फैंस या परिचित लोग हैं. जो सक्षम हैं. कुछ कर सकते हैं. वो भी जुड़ते चले गए.
लोगों को बेड, ऑक्सिजन, वेंटिलेटर, डॉक्टर्स दिलवाने में मदद करते हैं. पुख्ता जानकारी मरीज के परिजन तक पहुँचाते हैं. आमतौर पर बहुत सारे नंबर्स फॉरवडेड होते हैं. कई बंद भी होते हैं. कुछ सही भी हैं तो वहां जगह खाली नहीं है. ऐसे में मरीज के साथ अटेंडेंट जो है. वो पच्चीस कॉल करेगा उसके बाद ये जवाब आएगा तो स्वभाविक है कि मरीज के अंदर पैनिक बढ़ेगा. जो मरीज के हेल्थ के लिए सही नहीं है तो ये काम मेरी टीम के लोग करते हैं. सही जानकारी देते हैं कि यहां बेड या ऑक्सीजन है. आप जाइए. बीता महीना बहुत मुश्किल था. चूंकि ये बीमारी ऐसी है कि सबकी ज़रूरतें एक सी हैं ऐसे में एक केस में एक एक दिन तक गए हैं तब जाकर मदद मिली है लेकिन बीते 5 मई से थोड़ा सुधार हुआ है. चीज़ें मिल जा रही हैं. अब ऐसी भी लिस्ट कई जगहों की होती है कि ये अस्पताल में इतने बेड्स खाली हैं. ऑक्सीजन है. उम्मीद करता हूं कि चीज़ें और बेहतर समय के साथ होंगी.
18 से 20 घंटे काम करना पड़ता है-अमृता प्रकाश
विवाह,एक विवाह ऐसा भी और वी आर फैमिली फेम एक्ट्रेस अमृता प्रकाश सोशल मीडिया के ज़रिए हर दिन कई सौ लोगों की मदद करती हैं. वे बताती हैं कि मैं कई संसाधन सहायता नेटवर्क में वॉलिएंटर के तौर पर जुड़ी हुई हूं. दिन में 18 से 20 घंटे काम करना पड़ता है. सोशल मीडिया और फ़ोन के ज़रिए लोगों से जुड़ना पड़ता है. एक इंसान तक मदद पहुचाने के लिए कम से कम 150 कॉल करने पड़ते है . 12 मई को मेरा जन्मदिन था लेकिन मैं उसे मना नहीं पायी.
फिलहाल मेरे पास नहाने और खाने तक का समय नहीं होता है. मेरा वजन काफी कम हो गया है और मेरे बाल भी झड़ने शुरू हो गए हैं लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है. जब लोगों के मैसेज आते हैं कि हमारी वजह से उनकी मदद हो गयी तो लगता है कि सारी मेहनत सफल हो गयी. हमारी टीम में जोश आ जाता है और हम फिर से काम में जुट जाते हैं. वैसे यह शारीरिक ही नहीं मानसिक तौर पर भी चुनौती वाला काम है. कई बार ऐसा भी हुआ है कि मदद मिल जाने के बाद भी लोग नहीं बच पाएं हैं. ऐसे में मैं फूट फूट कर उन लोगों के लिए रोयी भी हूं.
इस वजह से अपने दोस्तों की मदद नहीं कर रहा -सलमान खान
यह बहुत ही मुश्किल वक़्त है. मौजूदा जो हालात हैं. उसमें मुझे कई दोस्तों और रिश्तेदारों के कॉल बेड्स,ऑक्सीजन,इंजेक्शन,वेंटिलेटर के लिए आते हैं कि तुम अस्पताल में बोल दो तो हमें मिल जाएगा. लेकिन मैं चाहकर भी उनकी मदद नहीं कर पाता हूं क्योंकि मुझे पता है कि मैंने रेकमेंड किया तो हो सकता है कि किसी और को निकालकर मेरे परिचित को वो सुविधा मिल जाएगी. जबकि हो सकता है कि मेरे परिचित से ज़्यादा किसी और को उसकी जरूरत होगी. वो भी किसी का भाई, पिता या बेटा होगा. किसी की मदद आप दूसरे से छीन कर नहीं कर सकते हैं.
ये रील हीरो बने हैं रियल हीरो
मुसीबत की इस घड़ी में सिनेमाई दुनिया के हीरो असल जिंदगी में भी हीरो साबित हो रहे हैं. भूमि पेंडेरकर,आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा,अमिताभ बच्चन,सुनील शेट्टी,हुमा कुरैशी,अजय देवगन,जॉन अब्राहम, सलमान खान,अक्षय कुमार,अर्जुन कपूर,सोनू निगम ,अनुपम खेर सहित कई स्टार्स ज़रूरत की इस घड़ी में स्वयंसेवी संगठनों की कोरोना के खिलाफ जंग में ना सिर्फ आर्थिक बल्कि हर तरह से मदद कर रहे हैं. इसके साथ ही वह सोशल मीडिया के ज़रिए कई ज़रूरतमंदों की सहायता भी कर रहे हैं.