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कानपुर लोकसभा सीट पर आसानी से दावा नहीं छोड़ेगी सपा, 2014 से यहां है BJP का कब्जा, जानें पूरा समीकरण

समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव का रोड मैप तैयार करना शुरू कर दिया है. कानपुर लोकसभा सीट पर ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो यहां वर्ष 2014 से सपा बराबर मजबूत हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 15, 2023 1:44 PM

Kanpur: विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे की बात शुरू होते ही यूपी में समाजवादी पार्टी ने उन सीटों पर नजर बढ़ा दी है, जिन पर उसे अपना वर्चस्व दिख रहा है. कानपुर लोकसभा भी ऐसी सीटों में शामिल है. जिस पर सपा ने अपना दावा ठोकने का मन बनाया है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधायकों को इसके लिए होमवर्क शुरू करने के संकेत भी दिए हैं. शहर में सपा संगठन को भी जन समस्याओं को लेकर सड़क पर उतरने के लिए कहा गया है.

समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव का रोड मैप तैयार करना शुरू कर दिया है. कानपुर लोकसभा सीट पर ट्रैक रिकॉर्ड देखे तो यहां वर्ष 2014 से सपा बराबर मजबूत हो रही है. विपक्षी गठबंधन के सीट बंटवारे में अगर कानपुर सीट सपा के खाते में आती है. तो पार्टी की ओर से आर्य नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अमिताभ बाजपेई का नाम चर्चा में है. दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से तीन बार के पूर्व विधायक अजय कपूर और एआईसीसी सदस्य आलोक मिश्रा प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.

कानपुर लोकसभा सीट पर 2014 से भाजपा का कब्जा है. पहले मुरली मनोहर जोशी जीते थे. अब सचदेव पचौरी ने वर्तमान सांसद है. वैसे कानपुर सीट पहले भी कांग्रेस की परंपरागत सीट नहीं रही है.1951 से 57 के कार्यकाल में तीन चुनाव हुए थे. जिसमें कांग्रेस का वर्चस्व था पर 1957 से लेकर 1980 तक कानपुर सीट कांग्रेस के पास नहीं रही थी. कानपुर से चार बार निर्दलीय एसएम बनर्जी सांसद रहे. फिर 1977 में जनता पार्टी से मनोहर लाल निर्वाचित हुए.

1980 में कांग्रेस से आरिफ मोहम्मद खान और उसके बाद 1984 में नरेश चंद्र चतुर्वेदी कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे. बाद में गैर कांग्रेसवाद के नाम पर एक छाते के नीचे आए विपक्षी दलों की ओर से माकपा की सुभाषिनी अली सहगल सांसद बनी. इसके बाद 1991 से 1999 तक भाजपा के कप्तान पंडित जगवीर सिंह द्रोण जीतते रहे. 1999 से लेकर 2014 तक कांग्रेस के श्री प्रकाश जायसवाल ने हैट्रिक मारी और लगातार सांसद हैं.

विधानसभा चुनाव में शहर में समाजवादी पार्टी की बढ़त है. 2017 में उसने सीसामऊ और आर्य नगर जीती थी. तो, 2022 में छावनी सीट भी फतह करके दिखा दिया कि भाजपा के गढ़ कानपुर में परचम लहराने में वह कांग्रेस से आगे है. तीन विधानसभा सीटों पर सपा के विधायक और मेयर के चुनाव में दो लाख से ज्यादा वोट पाकर नंबर दो पर रहते हुए सपा ने साफ संदेश दिया कि शहर में उसकी जमीन मजबूत है.

नगर निगम में मुख्य विपक्षी दल के रूप मे सपा है. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कानपुर के साथ लखनऊ लोकसभा सीट पर सपा मजबूती से दावा करेगी. माना जा रहा है कि सपा ब्राह्मण बहुल कानपुर लोकसभा सीट से पार्टी के गद्दार ब्राह्मण नेता विधायक अमिताभ बाजपेई पर दावा आजमा सकती है.

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