रियल एस्टेट कारोबार की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है. बालू की कमी के कारण लगभग 150 प्रोजेक्ट का काम फंस गया है. सरकारी दर से अधिक कीमत पर ब्लैक में बालू मिल रहा है. इस कीमत पर बिल्डर बालू खरीदना नहीं चाह रहे हैं. ब्लैक में बालू 35 रुपये सीएफटी बिक रहा है. बिल्डरों की माने तो सात रुपये सीएफटी चालान व अन्य खर्च मिलाकर 17-18 रुपये सीएफटी बालू की कीमत होनी चाहिए. लिहाजा प्रोजेक्ट का काम बीच में ही रोक दिया गया है. बालू की समस्या के साथ संपत्ति अवभार प्रमाण पत्र (नन इनकमब्रेंस सर्टिफिकेट) का मामला भी फंस रहा है.
पिछले छह माह से रजिस्ट्री विभाग से संपत्ति अवभार प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा रहा है. इस कारण उपभोक्ताओं काे हाउसिंग लोन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है. इसका सीधा असर रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट पर पड़ रहा है. नगर निगम व रेरा ने भी परेशान कर रखा है. नगर निगम लेबर सेस ले रहा है, लेकिन लेबर डिपार्टमेंट में सेस की राशि जमा नहीं कर रहा है. लेबर डिपार्टमेंट से हम बिल्डरों को लगातार नोटिस पर नोटिस आ रहा है. रेरा में प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
नगर निगम अब पानी कनेक्शन के नाम पर बिल्डरों को परेशान कर रहा है. प्रावधान है कि सोसाइटी के नाम पर एक कनेक्शन लेना है, लेकिन नगर निगम से सभी फ्लैट ऑनर को पानी कनेक्शन लेने के लिए दबाव बना रहा है. झारखंड में जो स्थिति बन गयी है कि आनेवाले एक-दो साल में रियल एस्टेट का कारोबार पूरी तरह ठप हो जायेगा. बिल्डरों का कहना है अवभार प्रमाण पत्र के लिए रजिस्ट्री विभाग में कई बार शिकायत की गयी. विभाग के पदाधिकारी का रटा रटाया जवाब होता है कि मैन पावर की कमी है. जब तक मेन पावर नहीं मिलता है. अवभार प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा सकता है.