Loading election data...

Jharkhand News: बालू तस्करों ने खोद डाली हजारीबाग के सोनपुरा पुल की नींव, कभी भी हो सकता है धराशायी

हजारीबाग के बड़कागांव का सोनपुरा पुल इनदिनों खतरे में है. बालू माफियाओं ने इतना बालू का उठाव किया कि पुल के पिलर से छड़ तक दिखने लगे हैं. इसके अलावा क्षेत्र के पांच बड़े और दर्जनों छोटे पुल-पुलिया गिरने के कागार पर है.

By Samir Ranjan | December 6, 2022 6:20 PM

Jharkhand News: हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड क्षेत्र में लगातार बालू के अवैध उत्खनन से नदियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है. ऐसा ही एक नजारा सोनपुरा नदी में देखने को मिल रहा है. बालू माफिया ने इस नदी से इतना बालू निकाल लिया कि इस पर बने पुल के पिलर से छड़ तक दिखने लगा है. साथ ही बालू कम और मिट्टी अधिक दिखाई देने लगा है.

Jharkhand news: बालू तस्करों ने खोद डाली हजारीबाग के सोनपुरा पुल की नींव, कभी भी हो सकता है धराशायी 2

अवैध उत्खनन के कारण खतरे में नदियों का अस्तित्व

नयाटांड़ में सरकार द्वारा बालू डंप करने का निर्देश प्राप्त है जबकि बड़कागांव प्रखंड में दर्जनों नदियों एवं गांव में बालू डंप किया जा रहा है. बालू का अवैध उत्खनन के कारण नदियों का अस्तित्व खतरे में है. बालू उत्खनन से प्रखंड के कई ऐसी नदियां हैं जहां बालू कम और अधिक मिट्टी दिखाई देने लगा है. इस कारण नदियों का आकार भी अब सिमटता जा रहा है. वहीं, अधिकांश पुलों का वजूद खोता जा रहा है.

सोनपुरा पुल के पिलर से दिख रहा छड़

सोनपुरा पुल के पांच पिलर के पास मिट्टी और बालू नहीं है. पिलर से छड़ दिख रहा है. इसके कारण पिलर गिरने की संभावना बढ़ गयी है. कांडतरी के ग्रामीणों के अनुसार, कांड़तरी का पुल भी बालू की अवैध उत्खनन के कारण सात साल पहले ध्वस्त हो गया था.

Also Read: CM सुखाड़ राहत योजना :देवघर के एक लाख से अधिक किसानों का अब तक हुआ रजिस्ट्रेशन,अन्य जिलों की जानें स्थिति

बालू माफिया के कारण नदी किनारे खेत बंजर में तब्दील

मालूम हो कि इस क्षेत्र का मुख्य पेशा कृषि है. यहां दो बड़ी नदियां हाहारो एवं बदमाही दो अलग-अलग छोर से निकलकर बिश्रामपुर के निकट महुदी में जाकर मिलती है. ये नदियां आगे जाकर दामोदर का रूप धारण कर उरीमारी, रामगढ़ होकर पश्चिम बंगाल की ओर कूच कर जाती है. यहां की नदियों की सुंदरता एवं चिकनी अच्छे किस्म की बालू पूरे प्रदेश में विशेष महत्व रखता था. इन नदियों में बालू की भंडारण इतनी थी कई पीढ़ियों तक इसे उपयोग में लाया जा सकता था. लेकिन, बालू के कारोबारियों की नजर पड़ते ही महज चार से पांच साल में नदियों का बालू ही खत्म नहीं हुआ, बल्कि नदी इतने गहरे हो गए कि नदी किनारे खेत बंजर में तब्दील होने लगे हैं. जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है.

दर्जनों पुल-पुलिया का अस्तित्व खतरे में

वहीं, इन नदियों पर बने 5 बड़े पुलों के साथ छोटे दर्जनों पुल-पुलिया का अस्तित्व खतरे में है. कई पुल ध्वस्त हो चुके हैं तथा कई गिरने के कगार पर हैं. अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो करोड़ों रुपये से आवागमन के लिए बनाया गया पुल जमींदोज हो जाएगा और कई गांव का संपर्क प्रखंड मुख्यालय से टूट जाएगा.

अवैध उत्खनन पर लगे रोक : खनन इंस्पेक्टर

इस संबंध में खनन विभाग के इंस्पेक्टर सुनील कुमार का कहना है कि प्रशासनिक बैठक में उपायुक्त द्वारा सभी अंचल अधिकारियों को लोकल नदियों पर अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के निर्देश दिया गया है. विभाग द्वारा कार्रवाई जा रही है.

Also Read: गढ़वा के दो दिव्यांग भाइयों पर बिजली विभाग ने भेजा 41 हजार रुपये का बिल, कैसे होगा जमा, सता रही चिंता

रिपोर्ट : संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग.

Next Article

Exit mobile version