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पूर्वी सिंहभूम के दर्जनों बालू घाट पर धड़ल्ले से बालू तस्करी जारी, हर महीने इतने लाख रुपये की हो रही वसूली

बालू तस्करी में लगे कुछ विश्वस्त ट्रैक्टर मालिकों ने चौकाने वाली जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि बालू माफिया इस तस्करी में शामिल प्रत्येक ट्रैक्टर मालिकों से प्रतिमाह 15 से 18 हजार रुपये एक मुस्त रकम की वसूली करते है.

पूर्वी सिंहभूम (बरसोल), गौरव पाल : खनन विभाग, पुलिस-प्रशासन और बालू माफियाओं की मिलीभगत से बहरागोड़ा, बरसोल, चकुलिया, श्यामसुंदरपुर थाना अन्तर्गत दर्जनों बालू घाट से हाइवा व ट्रैक्टर से दिन-रात बालू की अवैध तस्करी बडे़ पैमाने पर जारी है. इस तस्करी को अंजाम बहरागोड़ा चाकुलिया क्षेत्र के कई सारे बड़े हस्ती और उसके दर्जनों सहयोगियों की देख रेख में दिया जा रहा है.

बताया जा रहा है बालू की गैरकानूनी परिवहन का समय अब बदल गया है. पहले जहां रात के अंधेरे में बालू की तस्करी होती थी वही सुबह को दिन के उजाले में भी बालू की तस्करी खुलेआम हो रहा है. इस अवैध कारोबार में बहरागोड़ा व बरसोल आसपास गांवों के लगभग 60-70 ट्रैक्टर व दर्जनों हाइवा व ट्रक को लगाया गया है. बालू तस्करी में शामिल इन वाहनों से प्रतिमाह एक फिक्स रकम की वसूली (लगभग 8 लाख रुपये) उक्त बालू माफियाओं के द्वारा की जाती है और विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों व कुछ राजनीतिक लोगों के पास अलग-अलग हिस्सा पहुंचाया जाता है. बाकी के पैसों की बंदरबांट स्वयं की जाती है.

आठ लाख रुपये प्रत्येक माह होती है वसूली

बालू तस्करी में लगे कुछ विश्वस्त ट्रैक्टर मालिकों ने चौकाने वाली जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि बालू माफिया इस तस्करी में शामिल प्रत्येक ट्रैक्टर मालिकों से प्रतिमाह 15 से 18 हजार रुपये एक मुस्त रकम की वसूली करते है. लगभग 60-70 ट्रैक्टर से यह वसूली होती है. हाइवा से अधिक रकम की वसूली होती है. ऑफ सीजन अर्थात बारिश के समय में भी 15 हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर माफियाओं को देना पड़ता है. लगभग आठ लाख रुपये प्रत्येक माह उक्त बालू घाटों से अवैध बालू उठाव करने वाले वाहनों से वसूला जाता है. जेसीबी मशीन से वाहनों में बालू लोड किया जाता है.

पैसे नहीं देने वाले वाहनों पर होती है कार्रवाई

जब माफियाओं से ट्रैक्टर मालिक पूछते हैं कि आखिर हमारे क्षेत्र के घाट से बालू उठाव के एवज में हमलोग से पैसा क्यों लिया जाता है और यह पैसा कहां जाता है? इस पर उक्त बालू माफियाओं द्वारा हिसाब दिया जाता है की कुछ पैसा खनन विभाग के कुछ पदाधिकारियों को दिया जाता है. इसके बाद बहरागोड़ा बरसोल क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन पुलिस-प्रशासन के लोगों व जनप्रतिनिधियों को उनकी योग्यता अनुसार 70 हजार रुपये से लेकर 40 हजार रुपये तक प्रतिमाह पहुंचाया जाता है. इसके साथ ही माफिया इस कार्य में शामिल वाहनों से संबंधित एक सूची भी उक्त अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाता है ताकि वे किसी भी परिस्थिति में इन वाहनों को न पकड़े.

पैसे पहुंचने के बाद रात-दिन ट्रैक्टर से बेखौफ होकर लोग बालू की अवैध तस्करी कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि अगर कोई वाहन मालिक इन माफियाओं को पैसा दिए बगैर बालू की ढुलाई करता है तो ऐसे वाहनों की सूचना पुलिस-प्रशासन को देकर उसे पकड़वा दिया जाता है.पुलिस-प्रशासन व खनन विभाग भी ऐसे वाहनों पर कार्रवाई कर केवल खानापूर्ति कर देती है. अबैध बालू तस्करी में लगाए गए ज्यादातर ट्रैक्टर बिना नंबर प्लेट की चलती है.

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व्हाट्सएप ग्रुप से संचालित हो रहा कारोबार

सूत्रों ने बताया की बालू माफियाओं की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि अधिक पैसे का कोई विरोध करता है तो उसके साथ मारपीट तक की जाती है. इस अवैध कारोबार को संचालित करने के लिए ट्रैक्टर मालिकों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, इसी के जरिए जरूरी संदेश दिया जाता है और पैसों की उगाही की जाती है. जो पैसा नहीं देता है उसे पैसा के बदले माफियाओं के बताए स्थान पर मुफ्त में बालू गिराना पड़ता है. इस अवैध बालू तस्करी में शामिल सभी ट्रैक्टर मालिकों को विकट स्थिति में चलान उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था होती है. जिससे वाहन पकडे़ जाने के बाद वह उपलब्ध कराया जाता है.

शिकायत के बाद नहीं होती कार्रवाई

ग्रामीण सूत्र ने बताया कि इस बालू तस्करी को लेकर कई बार ग्रामीणों ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को फोन कर सूचना दी थी. लेकिन बालू माफियाओं के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है. सूचना देने वाले को अब इस बात का भी भय है कि कहीं पुलिस सूचना देने वालों का नाम बालू माफिया को न बता दे, जिससे उस पर खतरा बढ़ जाये. इसके बावजूद यह अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है.

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