हरियाणा : अंतरराष्ट्रीय पहलवान बजरंग पूनिया और संगीता फोगाट बुधवार की रात को परिणय सूत्र में बंध गये. दोनों ने सात नहीं आठ फेरे लिये. आठवां फेरा ”बेटी बचाओ” के नाम का लिया. कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन करते हुए बजरंग सोनीपत से महज 31 बरातियों को साथ लेकर संगीता को ब्याहने पहुंचे थे. शादी बिना दहेज के संपन्न हुई.
द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित महावीर फोगाट की तीसरे नंबर की बेटी संगीता अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं. बजरंग पूनिया भी अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं. कुश्ती के दौरान ही दोनों ने एकदूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुन लिया. पिछले दिनों परिवार वालों ने दोनों का रिश्ता तय कर दिया. दोनों ही पहलवान शादी में काफी मेहमानों को बुलाना चाहते थे, लेकिन कोरोना के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका.
हालांकि, कोरोना को लेकर शादी को कुछ महीनों के लिए टाला गया. लेकिन, कोरोना के खत्म होने के हाल फिलहाल में कोई आसार नजर ना आने पर नवंबर में शादी की तारीख तय कर दी. बुधवार को सादगी के साथ संगीता के पैतृक गांव बलाली में शादी समारोह संपन्न हुआ. दोनों ने पहले ही तय कर लिया था कि वह सात नहीं आठ फेरे लेंगे और ऐसा ही किया. सात फेरे लेने के बाद दोनों ने आठवां फेरा बेटी बचाओ के नाम लेकर समाज को बेटियों को आगे बढ़ाने का संदेश दिया.
महावीर फोगाट ने अपनी तीनों बेटियों गीता, बबीता और संगीता को पहलवानी सिखायी. तीनों अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं. गीता और बबीता पर दंगल फिल्म तक बनी, जो देश में ही नहीं, विदेशों में भी खूब देखी गयी. तीनों लड़कियों के साथ ही महावीर के भाई की बेटी विनेश भी पहलवान है. बेटियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के पीछे उनके पिता महावीर फोगाट की अहम भूमिका है.
पहलवान महावीर फोगाट ही चाहते थे कि शादियों में बेटियां बेटी बचाओ नाम का भी फेरा लें. महावीर के परिवार में अब यह आठवां फेरा एक परंपरा बन गयी है. उनकी दोनों बेटियों ने भी अपनी शादी में आठ फेरे लिये थे.