माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (Chaturthi) तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) यानि सकट चौथ का व्रत रखा जाता है. संकष्टी का अर्थ होता है, संकट हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़े तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है.इस बार संकष्ट चतुर्थी 21 जनवरी को मनाई जाएगी.
इस दिन होती है श्री गणेश की पूजा
इस दिन श्री गणेश ने देवताओं का संकट दूर कर उनके कष्ट दूर किए थे. भगवान शंकर उन्हें कष्ट निवारण देवता होने की संज्ञा भी दी थी. विवाहित महिलाएं परिवार और बच्चों के ऊपर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए संकष्ट व्रत रखती हैं. चंद्रमा के पूजन के इस पर्व को चंद्रोदय के समय के अनुसार लिया जाता है.
सकट चौथ पर चंद्रमा निकलने का समय
हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा और व्रत रखने का विधान है. माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार सकट चौथ का व्रत 21 जनवरी को मनाया जाएगा. इस तिथि पर महिलाएं व्रत रखते हुए भगवान गणेश की पूजा-अर्चना और चंद्रमा को जल देती हैं. गणेश जी की पूजा के बाद रात को चंद्रमा के दर्शन करते हुए व्रत को पूरा किया जाता है. इस बार 21 जनवरी को चंद्रोदय रात के लगभग 09 बजे होगा. हालांकि अलग-अलग जगहों पर चंद्रमा के निकलने का समय अलग हो सकता है.
सकट चौथ और गणेश मंत्र
सकट चौथ पर माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा और मंत्रों के जाप से भगवान गणेश को प्रसन्न करती है. ऐसे में सकट चौथ के दिन गणेश मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए.
ओम एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात.
ओम वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा.
ओम गं गणपतये नमः.
श्रीगणेशाय नम:.