Sankashti Chaturthi April 2022 Shubh Muhurat and Chandrodaya Time: संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) आज 19 अप्रैल दिन मंगलवार को है. चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी जो 20 अप्रैल की दोपहर 01:52 बजे तक चलेगी. चूंकि चतुर्थी के व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देना जरूरी होता है इसलिए उसी दिन चतुर्थी मानी जाती है जिसमें रात का समय आ रहा हो. इस बार संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय (Chandrodaya Time) रात 09:50 मिनट है.
– भगवान गणेश को भूल से भी तुलसी न चढ़ाएं. ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
– वैसे तो कभी भी पशु-पक्षियों को नहीं सताना चाहिए लेकिन संकष्टी चतुर्थी के दिन ऐसा करना बहुत भारी पड़ सकता है. बल्कि कोशिश करें कि इस दिन पशु-पक्षियों को भोजन-पानी दें.
– संकष्टी चतुर्थी के दिन बुजुर्गों-ब्राह्मणों का अपमान करने की गलती न करें. इससे भगवान गणेश आप से नाराज हो सकते हैं.
– संकष्टी चतुर्थी के दिन अपना आचरण अच्छा रखें. किसी से झूठ नहीं बोलें, ना ही धोखा दें.
– संकष्टी चतुर्थी के दिन मांस-शराब का सेवन न करें. यहां तक कि इस दिन घर पर भोजन में लहसुन-प्याज का उपयोग न करें. इस दिन सात्विक भोजन ही करें.
स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें. इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है. गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिदिशा की ओर रखना चाहिए. पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धूप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें. गणेश जी को रोली लगाएं , फूल और जल अर्पित करें. संकष्टी को भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें. रात को चांद देखने के बाद व्रत खोलें.
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की कम से कम 12 नामों का भी ध्यान करना चाहिए। ताकि भविष्य में आने वाली सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिले. जीवन सुखमय रहे। ये 12 नाम- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन.