Sankashti Chaturthi Vrat Vidhi: आज संकष्टी चतुर्थी व्रत है. यह व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. चतुर्थी व्रत को हेरम्ब संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान विनायक के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं. यह व्रत मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है. साथ ही यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्रती के जीवन और परिवार में शुभता का वास होता है. संकट हरने वाले भगवान गणेश से संकटों को हरने की प्रार्थना करने के लिए ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. यह व्रत मंगल कार्यों का दायक है. इस व्रत के प्रभाव से घर में मांगलिक कार्यों का आगमन होता है.
संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की पूजा अर्जना करना विशेष फलदायी माना गया है. संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है. जो व्यक्ति आज के दिन भगवान गणेश जी की स्तुति करता है विधि पूर्वक पूजा करता है उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. आज के दिन सुबह स्नान करने के बाद गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन भगवान गणेश जी की प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए. इस दिन गणेश मंत्र का जाप करना उत्तम फलदायी माना गया है. संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है.
संकष्टी चतुर्थी वाले दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. जिस स्थान पर पूजा करनी है, उसे गंगाजल से पवित्र करें. उस स्थान पर एक चौकी रखें और उसे पीले रंग का वस्त्र से ढक कर कलावा बांध दें. इसके बाद चौकी पर स्वास्तिक बनाएं. फिर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रखें. भगवान गणेश के विग्रह को माला चढ़ाएं और तिलक लगाएं. इसके बाद दीपक जलाएं. साथ ही हाथ में साबूत चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प करें. भगवान गणेश के समक्ष संकल्पित फूल और चावल चढ़ा दें. फिर गणेश चालीसा, गणेश स्तुति और मंत्रों से उनका स्मरण करें. बाद में भगवान गणेश की आरती कर, उन्हें दूर्वा चढ़ाएं. साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग भी लगाएं.
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 7 अगस्त को 12 बजकर 14 मिनट पर
चतुर्थी तिथि समाप्त: 8 अगस्त को 02 बजकर 06 मिनट पर
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: 09 बजकर 38 मिनट
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी।
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। ।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा..।।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
News posted by : Radheshyam kushwaha