Sant Ravidas Jayanti, Varanasi News: ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ वाली कहावत को चरितार्थ सिद्ध करने वाले संत शिरोमणि गुरु रविदास की जन्मस्थली सीरगोवर्द्धनपुर स्थित मंदिर में आज भी संत कठौती और चमत्कारिक पत्थर सुरक्षित रखा हुआ है. पूज्य संत रविदास की ये अमूल्य निधि यही दर्शाती है कि जब प्रभु के रंग में रंगे महात्मा लोग अपने कार्य करते हुए प्रभु का नाम लेते हैं तो उस जगह से पवित्र और बड़ा तीर्थ इस धरती पर नहीं होता है.
देशभर से आने वाले श्रद्धालु इसी आस्था के साथ इस संत कठौती और चमत्कारी पत्थर के दर्शन करते हैं. यह कठौती संत रविदास जयंती के अवसर पर देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आकर्षक का केंद्र रहती है. संत रविदास की जयंती पर जब श्रद्धालु संत निरंजन दास की अगुवाई में संत की कठौती, चमत्कारिक पत्थर और स्वर्ण पालकी के दर्शन करते हैं तो हर रैदासी व व्यक्ति के लिए यही सीख होती है कि ‘कर्म ही पूजा है’.
Also Read: Varanasi News: अब सड़कों पर घूमते नहीं दिखेंगे छुट्टा गोवंश, CDO अभिषेक गोयल ने किए खास इंतजामइस संत कठौती और चमत्कारिक पत्थर को विशेष सुरक्षा के साथ मन्दिर में रखा गया है. कठौती मिलने के पीछे की कहानी को बताते हुए मंदिर के ट्रस्टी जनरल सेक्रेटरी सतपाल विर्दी ने कहा कि वर्ष 1964 में ब्रम्हलीन संत सरवन दास ने अपने शिष्य हरिदास को मंदिर की नींव डालने के लिए जालंधर से काशी भेजा था. मंदिर के नींव की खुदाई के दौरान यह कठौती मिली थी.
Also Read: Varanasi News: देशद्रोह के मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय को लगा झटका, नहीं मिली जमानतकठौती को संत रविदास की निशानी मानकर मंदिर बनने के बाद बेसमेंट में रखा गया था. बाद में सुरक्षा को देखते हुए इस कठौती को बुलेटप्रूफ कांच में बंद कर संगमरमर से जड़ दिया गया. मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालु इसका दर्शन करते हैं.
चमत्कारिक पत्थर मिलने की भी घटना किसी चमत्कार से कम नहीं है. 2016 में जब मंदिर के संत मनदीप दास नगवां स्थित रविदास पार्क में संत की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने गए थे. तभी उन्हें रविदास घाट पर एक पत्थर पानी में तैरता दिखाई दिया. इतने भारी पत्थर को पानी में तैरता हुआ देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ और इसे संत रविदास का आशीर्वाद मानकर वे मन्दिर में ले आये.
मंदिर के ट्रस्टी के एल सरोये ने बताया कि इसे चमत्कारिक पत्थर मानकर मंदिर में स्वर्ण पालकी पर रखी संत रविदास की प्रतिमा के सामने बुलेटप्रूफ कांच में रखकर चारों तरफ से चैनल में बंद करके रखा गया है, जिसका जयंती पर आने वाले श्रद्धालु दर्शन करते हैं. इसके पीछे मन चंगा तो कठौती में गंगा का संदेश देने वाले संत शिरोमणि रविदास से जुड़ी कहानी छिपी है.
Also Read: Varanasi News: संत रविदास जयंती पर सीर गोवर्धन गांव में लगेगा आस्था का कुंभ, इन नेताओं को मिला न्यौताएल सरोये ने बताया कि संत रविदास जूते बनाने का काम करते थे. जिस रास्ते पर वे बैठते थे, वहां से कई ब्राह्मण गंगा स्नान के लिए जाते थे. एक बार एक पंडित ने संत रविदास से गंगा स्नान को चलने के लिए कहा, तब उन्होंने कि मेरे पास समय नहीं है पर मेरा एक काम कर दीजिए, फिर अपनी जेब में से चार सुपारी निकालते हुए कहा कि ये सुपारियां मेरी ओर से गंगा मईया को दे देना. पंडित ने गंगा स्नान के बाद गंगा में सुपारी डालते हुए कहा कि रविदास ने आपके लिए भेजी है. तभी गंगा मां प्रकट हुईं और पंडित को एक कंगन देते हुए कहा कि यह कंगन मेरी ओर से रविदास को दे देना.
हीरे जड़े कंगन को देख कर पंडित के मन में लालच आ गया और उसने कंगन को अपने पास ही रख लिया. कुछ समय बाद पंडित ने वह कंगन राजा को भेंट में दे दिया. रानी ने जब उस कंगन को देखा तो प्रसन्न होकर दूसरे कंगन की मांग करने लगीं. राजा ने पंडित को बुलाकर दूसरा कंगन लाने को कहा.
पंडित इस पर घबरा गया, क्योंकि उसने संत रविदास के लिए दिया गया कंगन खुद रख लिया था और उपहार के लालच में राजा को भेंट कर दिया था. वह संत रविदास के पास पहुंचा और पूरी बात बताई. तब संत रविदास ने अपनी कठौतठ का बर्तन, जिसमें पानी भरा जाता है, में जल भर कर भक्ति के साथ मां गंगा का आवाह्न किया.
Also Read: Varanasi News: CM योगी ने संत रविदास की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण, निर्माणाधीन कार्यों की ली जानकारीगंगा मैया प्रसन्न होकर कठौती में प्रकट हुईं और रविदास की विनती पर दूसरा कंगन भी भेंट किया. इसीलिए कहा जाता है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थात् अन्त:करण जो कार्य करने को तैयार हो, वही काम करना उचित है.
रिपोर्ट: विपिन सिंह, वाराणसी