Varanasi News: संत रविदास जयंती पर सीर गोवर्धन गांव में लगेगा आस्था का कुंभ, इन नेताओं को मिला न्यौता
Varanasi News: संत रविदास की जयंती के अवसर पर इस बार धर्म और सियासत दोनों का मिलाजुला रंग देखने को मिलेगा. जयंती के अवसर पर लगने वाली तीन दिवसीय मेले पर कई दिग्गज नेताओं के मत्था टेकने आने की सम्भावना है,
Varanasi News: ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ का संदेश देने वाले संत रविदास की जयंती पर 16 फरवरी को उनके जन्मस्थान वाराणसी के सीर गोवर्धन गांव में आस्था का कुंभ लगेगा. माघी पूर्णिमा पर संत की जयंती पर हर साल लाखों की तादाद में अनुयायी यहां पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोविड की वजह से भीड़ की संख्या में कुछ कमी देखी जा सकती हैं.
रविदास जयंती पर धर्म और सियासत का दिखेगा मिलाजुला रंग
सबसे ज्यादा असर विदेश से आने वाले लोगों की संख्या पर देखने को मिलेगी. पंजाब और हरियाणा से आने वाले लोगों की भी संख्या कमतर रहेगी, लेकिन इस बार संत रविदास की जयंती के अवसर पर धर्म और सियासत दोनों का मिलाजुला रंग देखने को मिलेगा. जयंती के अवसर पर लगने वाली तीन दिवसीय मेले पर कई दिग्गज नेताओं के मत्था टेकने आने की सम्भावना है, क्योंकि चुनावी मौसम में प्रधानमंत्री के राजनीतिक क्षेत्र वाराणसी का हर मुद्दा और गतिविधि इस वक्त प्रत्येक दल के लिए सियासी अवसर से जुड़ा हुआ है.
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2019 में रविदास मंदिर आए पीएम मोदी
संत रविदास के इस मंदिर रूपी भवन की अहमियत का सबसे बड़ा प्रमाण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भक्ति में देखने को मिला, जब 2019 के लोक सभा चुनावों के पहले वह बनारस आए और संत रविदास जी के दरबार में नतमस्तक हुए. उस वादों भरे दर्शन के दो साल बाद, प्रधानमंत्री के चुनाव क्षेत्र में इस सालाना भव्य कार्यक्रम में वह खुद तो शिरकत नहीं कर सके, लेकिन केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जिनका बनारस और रविदासी समुदाय के मुद्दों और मांगों से वास्ता कम है, जरूर मंदिर दर्शन करने पहुंचे. ये दर्शाता है कि इस समुदायिक आयोजन का सियासी इस्तेमाल खूब होता रहा है, क्योंकि रविदासी समाज के लोग भी वोटर हैं और ऐसे माहौल में हर दल इन्हें अपनी तरफ़ आकृष्ट करने की कोशिश करेगा.
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दलित श्रद्धा का केंद्र बना रविदास मंदिर
1965 में बना रविदास मंदिर दशकों से दलित श्रद्धा का केंद्र रहा है. दिखने में यह मंदिर एक गुरुद्वारे जैसा है और इसमें संत रविदास की खूबसूरत मूर्ति भी स्थापित है. इस मंदिर, जिसे आम तौर पर भवन कहा जाता है, के प्रबंधन का जिम्मा पंजाब के डेरा बल्लां सचखंड के अंतर्गत आता है. क्योंकि संत रविदास का परिवार चमड़े के व्यवसाय से जुड़ा था, तो अधिकतर चमड़े का काम करने वाले समुदाय के लोगों ने रविदासी धर्म को अपनाया.
रविदासी समुदाय के लिए चलायी जाएगी बेगमपुर स्पेशल ट्रेन
रविदासी समुदाय के लोगो के लिए बेगमपुरा स्पेशल ट्रेन भी चलाई जाती थी. 14 फरवरी को इस ट्रेन से बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा से रविदासियों के पहुंचने की सम्भावना है. हालांकि पंजाब, चुनाव और कोरोना संक्रमण को देखते हुए संख्या पर असर पड़ सकता है. रविदास जयंती पर सियासत के दिग्गज नेताओं को भी आने का निमंत्रण दिया गया है.
नेताओं को मंदिर प्रबंधन की ओर से दिया गया निमंत्रण
मंदिर प्रबंधन के जनरल सेक्रेटरी सतपाल विर्दी ने बताया कि चुनाव में आचार संहिता की बंदिशों के कारण राजनीतिक पार्टी के प्रमुख नेताओं को प्रोटोकॉल के तहत जयंती में आने के लिए निमंत्रण दिया गया है. उन्होंने बताया कि धार्मिक स्थल होने के कारण यहां किसी भी पार्टी के नेताओं को आने में कोई परहेज नहीं करना चाहिए और सबका यहां स्वागत है. वैसे तो प्रमुख नेता खुद आने की इच्छा जताते हैं लेकिन चुनाव के कारण सुरक्षा को देखते हुए प्रोटोकॉल के पालन में दिक्कत होती है.
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पंजाब के मुख्यमंत्री आ सकते हैं वाराणसी
आचार संहिता के कारण सभी राजनीतिक दल के प्रमुख नेताओं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, अरविंद केजरीवाल, प्रियंका गांधी, हरसिमरत कौर, शमशेर सिंह दुल्लो सहित सभी राजनीतिक दल के प्रमुख नेताओं को मंदिर प्रबंधन की तरफ से निमंत्रण दिया गया है. इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के आने की पूरी सम्भावना है.
पीएम मोदी के आने की संभावना कम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 16 फरवरी को पंजाब में रैली होने के कारण उनके आने की उम्मीद कम है, लेकिन भाजपा के बड़े नेता मत्था टेकने आ सकते हैं. इसको देखते हुए हर तरह की तैयारियां की जा रही हैं. आचार संहिता के कारण मंच पर भाषण नहीं दे सकते लेकिन जयंती में शामिल होने और मंदिर में मत्था टेकने तथा लंगर छकने में कोई दिक्कत नहीं है.
रविदास मंदिर बना राजनीति का नया केंद्र
हाल के सालों में रविदास मंदिर राजनीति का नया केंद्र बन गया है. 90 के दशक में इस मंदिर में सिर्फ बीएसपी नेताओं का ही आना जाना था, लेकिन 2014 के बाद से हालात बदल गए हैं. बीएसपी नेताओं के अलावा अब यहां राजनीति के बड़े चेहरे दिखाई पड़ते हैं..
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पीएम मोदी सहित ये नेता आ चुके हैं रविदास मंदिर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल, योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, थावर चंद गहलोत, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, भाजपा के केंद्रीय मंत्री विजय सांपला, हरसिमरत कौर, शमशान सिंह दुल्लो, भीम आर्मी चीफ चद्रशेखर आजाद, भाजपा के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य भी रविदास मंदिर आ चुके हैं. यूपी की सियासत में संत रविदास जयंती के अवसर पर अपनी जमीन मजबूत करने का प्रयास हर दल के नेता द्वारा किया जाएगा.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी