कोलकाताः कलकत्ता हाइकोर्ट (Calcutta High Court) ने शनिवार को सारधा चिटफंड घोटाले (Saradha Chit Fund Scam) की आरोपी देवयानी मुखर्जी (Debjani Mukherjee) को उनके खिलाफ दर्ज कई आपराधिक मामलों में से एक मामले में शनिवार (19 जून) को जमानत दे दी.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने देवयानी मुखर्जी को जमानत प्रदान करते हुए दो लाख रुपये का मुचलका एवं एक-एक लाख रुपये की राशि के दो जमानतदारों को पेश करने का आदेश दिया, जिनमें से एक जमानतदार स्थानीय होना चाहिए.
हालांकि, इस मामले में जमानत मिलने के बावजूद देवयानी मुखर्जी को जेल में ही रहना होगा, क्योंकि अन्य राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज मामलों में उन्हें जमानत प्राप्त करनी होगी. सारधा समूह ने कथित तौर पर ऊंचे लाभांश का लालच देकर हजारों निवेशकों को फर्जी योजनाओं में निवेश कराया.
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उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत याचिका पेश करते हुए याचिकाकर्ता के वकील जयंत नारायण चटर्जी ने दलील दी कि देवयानी मुखर्जी को 22 अप्रैल 2013 को गिरफ्तार किया गया था और तभी से वह जेल में बंद है.
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अदालत से कहा कि वह गिरफ्तारी किसी अन्य आपराधिक मामले में की गयी थी और जहां तक मौजूदा मामले का सवाल है, तो देवयानी को 14 जून 2014 को गिरफ्तार किया गया था.
अदालत ने पाया कि इस मामले में आरोप पत्र 22 अक्टूबर 2014 को दाखिल किया गया था और याचिकाकर्ता समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है. पीठ ने यह भी पाया कि इस मामले में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है और याचिकाकर्ता सात साल से अधिक समय से जेल में बंद है.
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Posted By: Mithilesh Jha