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Saraswati Puja 2022 Date: सरस्वती पूजा कब है? पूजा विधि, शूभ मुहूर्त, सरस्वती वंदना और आरती जानें

Saraswati Puja 2022 Date: सरस्वती पूजा 5 फरवरी शनिवार को है. रंग गुलाल त्योहार बसंत पंचमी के दिन शुरू होता है. इस साल सरस्वती पूजा पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं. जिसमें पूजा करने से विद्यार्थियों को विशेष लाभ होगा. सरस्वती पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जान लें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2022 1:30 PM

Saraswati Puja 2022 Date: सरस्वती पूजा के दिन बहुत से शुभ योग बन रहे हैं जो विद्यार्थियों, साधकों, भक्तों और ज्ञान चाहने वालों के लिए बहुत ही शुभ है. इस दिन सिद्ध नाम शुभ योग है जो देवी सरस्वती के उपासकों को सिद्धि और मनोवांछित फल देता है. इसके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन रवि नामक योग भी बन रहा है, जो सभी अशुभ योगों के प्रभाव को दूर करने वाला माना जाता है. इन सबके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन एक और अच्छी बात यह होगी कि बसंत पंचमी के एक दिन पहले बुद्धि कारक बुध ग्रह अपने मार्ग में होगा. इसके साथ ही शुभ बुद्धादित्य योग भी प्रभाव में रहेगा. जानें मां सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र, वंदना और आरती.

सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त

पंचमी तिथि प्रारंभ- 5 फरवरी तड़के 3 बजकर 48 मिनट से शुरू

पंचमी तिथि समाप्त- 6 फरवरी तड़के 3 बजकर 46 मिनट तक

सरस्वती पूजा विधि

  • मां सरस्वती की प्रतिमा लाएं और उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें.

  • अब देवी सरस्वती को रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत चढ़ाएं.

  • अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और अपनी नई किताबें, पेंसिल, पेन चढ़ाएं.

  • मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें.

  • हवन करें और आरती कर पूजा समाप्त करें.

सरस्वती मंत्र

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्। वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।। रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्। सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च ।।

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

सरस्वती माता कीआरती

सरस्वती नमस्तुभ्यं
वरदे कामरूपिणी
विद्यारम्भं करिष्यामि
सिद्धिर्भवतु मे सदा

मां शारदे कहां तू
वीणा बजा रही है
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है

किस भाव में भवानी
तू मग्न हो रही है
विनती नहीं हमारी
क्यों मां तू सुन रही है
हम दीन बाल कब से
विनती सुना रहे हैं
चरणों में तेरे माता
हम सर झुका रहे हैं
हम सर झुका रहे हैं
मां शारदे कहां तू
वीणा बजा रही है
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है

अज्ञान तुम हमारा
मां शीघ्र दूर कर दो
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में
मां शारदे तू भर दे
बालक सभी जगत के
सूत मात हैं तुम्हारे
प्राणों से प्रिय है हम
तेरे पुत्र सब दुलारे
तेरे पुत्र सब दुलारे
मां शारदे कहां तू

हमको दयामयी तू
ले गोद में पढ़ाओ
अमृत जगत का हमको
मां शारदे पिलाओ
मातेश्वरी तू सुन ले
सुंदर विनय हमारी
करके दया तू हर ले
बाधा जगत की सारी
बाधा जगत की सारी
मां शारदे कहां तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है
मां शारदे कहां तू
वीणा बजा रही है
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है

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