Saraswati Puja: सरस्वती पूजा कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व
Saraswati Puja: मां सरस्वती की पूजा विद्या और बुद्धि के लिए की जाती हैं. मां सरस्वती अपने भक्तों पर सहाय होती हैं और विद्या के क्षेत्र में कामयाब होने में मदद करती हैं.
Saraswati Puja: हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है. बसंत पंचमी का पर्व पूरे भारत में बहुत हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है, इस दिन मां सरस्वती पूजा करने का विधान है, इस दिन मां सरस्वती या मां विद्यादायिनी की पूजा विद्या और बुद्धि के लिए की जाती हैं. मां सरस्वती अपने भक्तों पर सहाय होती हैं और विद्या के क्षेत्र में कामयाब होने में मदद करती हैं. आइए जानते है ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा कब औ कैसे करनी चाहिए…
सरस्वती पूजा कब है?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ही सरस्वती पूजा का पर्व मनाया जाता है, इस साल यह पावन तिथि 14 फरवरी को पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था.
सरस्वती पूजा विधि
मां सरस्वती की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें. फिर मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें. पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें.
सरस्वती पूजा कितने बजे से है?
सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी हर साल मार्ग माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है. सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी, इस बार सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 14 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 07 बजकर 10 से लेकर 12 बजकर 22 मिनट पर होगा.
सरस्वती माता को क्या चढ़ाएं?
केसर भात के भोग से ज्ञान की देवी मां सरस्वती बहुत प्रसन्न होती हैं. ऐसा कहते हैं कि देवी को केसर भात का भोग लगाने से जीवन में सकारात्मत ऊर्जा का संचार होता है. केसर हलवा- मां सरस्वती को केसर का हलवा भी बहुत पसंद है. सरस्वती पूजा में केसर हलवा एक पारंपरिक भोग के रूप में चढ़ाया जाता है.
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सरस्वती पूजा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
बसंत पंचमी पर कौन से कार्य करना वर्जित माना जाता है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है, इस दिन बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन न करें. स्नान आदि करने के बाद मां सरस्वती की पूजा करने के बाद ही कुछ ग्रहण करें.