Sarhul 2022: कोल्हान में हो समाज के लोग कब और कैसे मनाते हैं सरहुल, जानें क्या है उनकी मान्यता

सरहुल को हो समाज के लोग बहा पर्व के रुप में मनाता है. साल के फूल के खिलने पर ही ये पर्व मनाया जाता है. इसे मुख्यत: शृंगार के पर्व के तौर पर मनाया जाता है

By Prabhat Khabar News Desk | April 4, 2022 12:18 PM

मुकेश बिरुवा

आदिवासी हो समाज महासभा, चाईबासा के पूर्व महासचिव

रांची: कोल्हान का हो समाज सरहुल को बाहा पर्व के रूप में मनाता है. प्रकृति के नये स्वरूप, नये फूल पत्तों का सम्मान और स्वागत करता है़ इसका आध्यात्मिक पहलू भी है़ हमारे पुरखे जो पूजा-पाठ और अध्यात्म से जुड़े थे, उन्हें ऐसा आभास हुआ कि जीने की प्रक्रिया में कुछ भूल-चूक हुई है़ ऐसा स्वप्न आया कि इसमें सुधार के लिए ऐसे फूल से पूजा करनी होगी, जो मुरझाया हुआ न हो़ इसके बाद लोग जंगलों से कई तरह के फूल लेकर आने लगे, पर वे फूल गांव आते-आते मुरझा जाते थे़.

इसी क्रम में पुरखों ने साल के फूल की पहचान की़ जंगलों में इस फूल के खिलने पर बाहा पर्व मनाया जाता है़ इसे मुख्यत: शृंगार के पर्व के तौर पर मनाया जाता है़ यह पूरी तरह जंगल से जुड़ा है इसलिए इसमें प्रतीकात्मक रूप से शिकार भी किया जाता है़ एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह पूजा देशाउली नहीं बल्कि स्त्री शक्ति के प्रतीक जयरा में होती है़.

जंगल में पूजा करने के बाद गांव वापस आने के रास्ते में पूजा स्थल और गांव के बीच साल की टहनियां गाड़ दी जाती है़ं लोग निर्धारित दूरी से उसपर निशाना लगाते है़ं जो सही निशाना लगाता है, वह उस वर्ष के लिए वीर घोषित किया जाता है़ पर्व के बाद का एक महीना शिकार का समय होता है, जिसमें नेतृत्व वह वीर घोषित व्यक्ति करता है़

Posted By: Sameer Oraon

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