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Sarhul Festival 2023: झारखंड में कल मनाया जाएगा सरहुल का त्योहार, आज रखा जा रहा है उपवास

Sarhul Festival 2023:  सरहुल जुलूस से पहले आज 23 मार्च को उपवास एवं मछली केकड़ा पकड़ने वाली विधि होगी और शाम 4:00 बजे जल रखाई पूजा किया जायेगा. इस जल रखाई पूजा में पहान के द्वारा घड़े में पानी रखकर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है. वहीं, 24 मार्च 2023 को सरना पूजा किया जाएगा.

By Shaurya Punj | March 23, 2023 10:46 AM
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Sarhul 2022: सरहुल पर्व  इस साल कल 24 मार्च को मनाया जाएगा. सरहुल त्योहार प्रकृति को समर्पित है. इस त्योहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती है. सरहुल आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है जो कि वसंत में मनाया जाता है. पतझड़ के बाद पेड़ पौधे खुद को नए पत्तों और फूलो से सजा लेते है, आम मंजरने लगता है सरई और महुआ के फूलो से वातावरण सुगन्धित हो जाता है.

23 मार्च को रखा जाएगा उपवास

बता दें कि सरहुल जुलूस से पहले आज 23 मार्च को उपवास एवं मछली केकड़ा पकड़ने वाली विधि होगी और शाम 4:00 बजे जल रखाई पूजा किया जायेगा. इस जल रखाई पूजा में पहान के द्वारा घड़े में पानी रखकर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है. वहीं, 24 मार्च 2023 को सरना पूजा किया जाएगा और उसके बाद करीब 1 बजे से शोभायात्रा निकाली जाएगी. शोभायात्रा में लाखों की संख्या में उपासक आने की उम्मीद जतायी जा रही है.

सरहुल पूजा विधि

सरहुल से एक दिन पहले उपवास और जल रखाई की रस्म होती है. सरना स्थल पर पारम्परिक रुप से पूजा की जाती है. खास बात ये है कि इस पर्व में मुख्य रूप से साल के पेड़ की पूजा होती है. सरहुल वसंत के मौसम में मनाया जाता है, इसलिए साल की शाखाएं नए फूल से सुसज्जित होती हैं. इन नए फूलों से देवताओं की पूजा की जाती है.

आदिवासियों का प्रमुख पर्व है सरहुल

सरहुल आदिवासियों का प्रमुख पर्व है, जो झारखंड, उड़ीसा और बंगाल के आदिवासी द्वारा मनाया जाता है. यह उत्सव चैत्र महीने के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है. इसमें वृक्षों की पूजा की जाती है. यह पर्व नये साल की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है.

विभिन्न जनजातियां के बीच प्रसिद्ध है सरहुल पर्व

उरांव सरना समाज में इस त्‍योहार को ‘खद्दी’ या ‘खेखेल बेंजा’ के नाम से भी जाना जाता है. उरांव सरना समाज में किसी भी सरहुल की तिथि पूरे गांव को हकवा लगाकर बताई जाती है. जैसा कि पहले ही बताया गया है कि सरहुल को त्योहार इस समाज में एक ही दिन नहीं मनाया जाता. विभिन्न गांवों में इसे अलग-अलग दिन मनाने की प्रथा है.

विभिन्न जनजातियां के बीच प्रसिद्ध है सरहुल पर्व

सरहुल पर्व को झारखंड (Jharkhand) की विभिन्न जनजातियां अलग-अलग नाम से मनाती हैं. उरांव जनजाति इसे ‘खुदी पर्व’, संथाल लोग ‘बाहा पर्व’, मुंडा समुदाय के लोग ‘बा पर्व’ और खड़िया जनजाति ‘जंकौर पर्व’ के नाम से इसे मनाती है.

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