गोरखपुर, पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन लगभग हर कार्य स्थलों पर आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दे रहा है. जिससे पिछले 1 सालों में 1239 पर सरेंडर कर दिए गए हैं. अब इन पदों पर भविष्य में कोई भी भर्ती नहीं होगी. पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन विभागीय कार्यालय हो या रेलवे स्टेशन, कारखाना हो या ट्रेन लगभग हर कार्य स्थलों पर आउट सोर्स को बढ़ावा दे रहा है. जिससे कर्मचारी संगठनों में काफी आक्रोश है. पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की माने तो सरकार रेलवे के अस्तित्व को समाप्त करने की साजिश रच रही है.
पीआरकेएस के कोषाध्यक्ष मनोज द्विवेदी ने रेल मंत्रालय पर युवाओं और कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप भी लगाया है. पूर्वोत्तर रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्ता ने बताया कि नई भर्ती और पदोन्नति पूरी तरह से ठप हो गई है. अगर यही स्थिति रही तो अब रेलवे को संविदा कर्मी चलाएंगे. रेलवे प्रशासन ने रेलवे के लिए ट्रेन चलाने में अपना योगदान देने वाले जैसे सहायक रसोईया, बिल पोस्टर टाइपिस्ट, माली, दफ्तरी, बढ़ई, खलासी, पेंटर के पद अनुपयोगी होते जा रहे हैं. 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक लखनऊ मंडल में सर्वाधिक 357 पद सरेंडर हुए हैं.
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मुख्यालय गोरखपुर के यांत्रिक कारखाने से 124 और को सरेंडर कर दिया गया है. वहीं वाराणसी मंडल में 285 और इज्जत नगर मंडल में 210 पद खत्म किए गए हैं. स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मेडिकल विभाग में 78 पद सहित परिचालन जैसे महत्वपूर्ण विभाग में 115 पद समाप्त कर दिया गया है. पूर्वोत्तर रेलवे में 59514 पद के सापेक्ष 45483 कर्मचारियों की तैनाती है. अभी 14031 पद खाली पड़े हैं. अगर भारतीय रेल स्तर पर कुल 17 जोन में 298973 पद खाली हैं. पीआरकेएस के पदाधिकारियों की माने तो पूर्वोत्तर रेलवे की लगभग 75% कर्मियों के भरोसे ही चल रही है रेल मंत्रालय रेलवे की संरक्षा और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.
रिपोर्ट – कुमार प्रदीप,गोरखपुर