Sarva Pitru Amavasya पर 11 साल बाद बन रहा है गजछाया योग, कर लें ये काम बहुत ही शुभ होगा
आश्विन मास की अमावस्य का पितृ पक्ष में विशेष महत्व बताया गया है. इस बार पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021, सोमवार से प्रारंभ हुआ हैं और अब इसका समापन 6 अक्टूबर 2021,बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को होगा. =इस बार इस दिन 11 साल बाद गजछाया योग बना रहा है.
इस बार पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021, सोमवार से प्रारंभ हुआ हैं और अब इसका समापन 6 अक्टूबर 2021, बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को होगा. इस बार इस दिन 11 साल बाद गजछाया योग बना रहा है. इस दिन कुमार योग और सर्वार्थसिद्धि योग भी है. इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध ग्रह मिलकर कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग बना रहे हैं. ऐसे में कुतुप काल में श्राद्ध करना अत्यंत ही चमत्कारिक फल देने वाला होगा.
1. छह 6 अक्टूबर को सूर्य और चंद्रमा दोनों ही सूर्योदय से लेकर शाम 04:34 बजे तक हस्त नक्षत्र में होंगे. अमावस्या के दिन यह विशिष्ट योग सूर्योदय से शाम के करीब 4.34 तक रहेगा. यह स्थिति को ही गजछाया योग कहते हैं. यह भी कहा जाता है कि जब सूर्य हस्त नक्षत्र पर हो और त्रयोदशी के दिन मघा नक्षत्र होता है तब ‘गजच्छाया योग’ बनता है.
2. शास्त्रों के अनुसार इस योग में श्राद्ध कर्म अर्थात तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज, घी मिली हुई खीर का दान, वस्त्र आदि कर्म करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीवार्द देते हैं. यह योग उनकी मुक्ति और तृप्ति के लिए उत्तम योग है. कहते हैं कि गजछाया योग में किए गए श्राद्ध और दान से पितरों की अगले 12 सालों के लिए क्षुधा शांत हो जाती है. यह श्राद्धकर्म के लिए अत्यन्त शुभ योग है. इसमें किए गए श्राद्ध का अक्षय फल होता है.
3. इस योग में श्राद्ध कर्म और पितृ पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है. पितृपक्ष में गजछाया योग होने पर तर्पण और श्राद्ध करने से वंश वृद्धि, धन संपत्ति और पितरों से मिलने वाले आशीर्वाद प्राप्त होता है.
4. कहते हैं कि जो पितृ उनकी तिथि पर नहीं आ पाते हैं या जिन्हें हम नहीं जानते हैं उन भूले-बिसरे पितरों का भी इसी दिन श्राद्ध करते हैं. अत: इस दिन श्राद्ध जरूर करना चाहिए.
5. अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है. मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं.
6. सर्वपितृ अमावस्या पर पंचबलि कर्म के साथ ही पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें. शास्त्र कहते हैं कि “पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः” जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है. इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है.
Posted By: Shaurya Punj