Saubhagya Sundari Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, अगहन मास की तृतीया तिथि के दिन सौभाग्य सुंदरी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है. इस व्रत को करवा चौथ के बराबर ही माना जाता है. इस व्रत को करने से पति की लंबी और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है. इसके साथ ही दंपति की कुंडली में लगा मांगलिक दोष भी दूर होता है. जानिए सौभाग्य सुंदरी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त.
अगहन मास की तृतीया तिथि आरंभ- 10 नवबंर 2022 को शाम 6 बजकर 33 मिनट से शुरू
अगहन मास की तृतीया तिथि समाप्त- 11 नवंबर रात 8 बजकर 17 मिनट पर समाप्त
11 नवंबर को उदया तिथि होने के कारण इसी दिन सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाएगा.
सौभाग्य सुंदरी के दिन सूर्योदय के समय उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें.
अब भगवान शिव और माता पार्वती का मनन करके हुए व्रत का संकल्प लें.
एक चौकी में लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछाकर माता पार्वती, शिव जी और गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर दें.
मां पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें. इसके साथ ही सिंदूर, रोली, फूल, माला, कुमकुम के साथ भोग लगाएं और एक पान में 2 सुपारी, 2 लौंग, 2 हरी इलाचयी, 1 बताशा और 1 रुपए रखकर चढ़ा दें.
भगवान शिव को भी सफेद रंग का चंदन, अक्षत, फूल, माला चढ़ाने के साथ भोग लगा दें.
अंत में घी का दीपक और धूप जलाकर चालीसा, मंत्रों का जाप करें.
“ॐ उमाये नमाः
‘देवी देइ उमे गौरी त्राहि मांग करुणानिधे माम् अपरार्धा शानतव्य भक्ति मुक्ति प्रदा भव’
अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें. दिनभर व्रत रखें. माना जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने से व्रत का कई गुना अधिक फल मिलता है.
भव्य पुराण की कथा के अनुसार, देवी सती ने अपने पिता की बातों से चिढ़कर, अपने शरीर का त्याग किया था. उन्होंने अपने पिता से यह वादा किया कि वह हर जन्म में हमेशा शिव की पत्नी के रूप में वापस आएंगी. इस प्रकार, जब उन्होंने अपना अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया, तो उन्होंने उस विशेष जन्म में भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की. सौभग्य सुंदरी व्रत देवी पार्वती-सती-दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है. इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं.
सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके अच्छे कपड़े पहनती हैं और 16 श्रृंगार करती हैं. इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार में मेहंदी लगाती हैं, सिंदूर, मांग टीका, काजल, हार, कान की बाली, हाथों में चूड़ियां, बालों में गजरा, कमरबंद, पैरों में पायल और खुशबू के लिए परफ्यूम का इस्तेमाल करती हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सौभाग्य सुंदरी व्रत करने से पति और संतान की उम्र बढ़ती है और उनके जीवन में खुशियां बनी रहती हैं. जिन महिलाओं को वैवाहिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ रहा है और जिन अविवाहित लड़कियों के विवाह में देरी हो रही हो उन्हें ये व्रत अवश्य करना चाहिए. इस व्रत को करने से मंगल दोष का परिहार भी होता है. इस व्रत को भी करवाचौथ के समान ही शुभ फल देने वाला गया है.