Saubhagya Sundari Vrat 2022: सौभाग्य सुंदरी तीज, जिसे ‘सौभाग्य सुंदरी व्रत’ के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरी भारत में विवाहित महिलाओं ये पूजा की जाती है. यह पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के ‘मार्गशीर्ष’ महीने के दौरान ‘कृष्ण पक्ष’ (चंद्रमा के अंधेरे पखवाड़े) की ‘तृतीया’ (तीसरे दिन) को मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह दिसंबर से जनवरी के बीच आता है. सौभाग्य सुंदरी तीज के दौरान महिलाएं अपने परिवार के कल्याण और समृद्धि के लिए देवी मां की पूजा करती हैं.
सौभाग्य सुंदरी का व्रत ‘तीज’ और ‘करवा चौथ’ के समान ही माना जाता है. सौभाग्य सुंदरी व्रत जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य लाने के लिए इस त्योहार को मनाया जाता है. महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए पूजा-पाठ कार्य करती हैं. माना जाता है कि सौभाग्य सुंदरी व्रत का पालन करने से कोई भी अपने भाग्य को अच्छे के लिए बदल सकता है और एक सुखी और सफल जीवन व्यतित कर सकता है. अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को कर सकती हैं. इस व्रत को विवाह दोष से मुक्त होने और विवाह में देरी को दूर करने के लिए भी किया जाता है. इसके द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति संभव होती है. ‘मांगलिक दोष’ तथा कुंडली में प्रतिकूल ग्रह दोषों को समाप्त करने के लिए यह व्रत शुभदायक बनता है. सौभाग्य सुंदरी व्रत महिलाओं के लिए ‘अखंड सौभाग्य का वरदान’ होता है.
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पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर दिन गुरुवार को शाम 06 बजकर 32 मिनट से होगा और इस तिथि का समापन 11 नवंबर दिन शुक्रवार को रात 08 बजकर 17 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर सौभाग्य सुंदरी व्रत 11 नवंबर को रखा जाएगा.
इस साल सौभाग्य सुंदरी व्रत शिव योग और सिद्ध योग में है. 11 नवंबर को शिव योग सुबह से लेकर रात 09 बजकर 30 मिनट तक है. उसके बाद से सिद्ध योग शुरू हो जाएगा. शिव और सिद्ध योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं.
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सौभाग्य सुंदरी तीज के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान कर लें. विवाहित महिलाओं के 16 श्रंगार करें और अच्छे वस्त्र धारण करें. इन 16 अलंकरणों में से कुछ मेहंदी, कुमकुम, चूड़ियां, रोली, हल्दी पाउडर, सुपारी, सिंदूर और पायल है.
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सौभाग्य सुंदरी तीज के अवसर पर, विवाहित महिलाएं पार्वती मां की पूजा करती हैं. महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती की एक साथ पूजा करती हैं और सभी पूजा विधिपूर्वक करती हैं.
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सबसे पहले भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों को लाल कपड़े में लपेटकर लकड़ी के चबूतरे पर रखें. सामने एक मिट्टी का दीपक जलाएं और देवताओं को मोली, रोली, चावल, सुपारी और पान के रूप में कुछ नाम दिए जाते हैं. देवी पार्वती की मूर्ति को भी 16 अलंकरणों से खूबसूरती से सजाएं.
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पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें. सौभाग्य सुंदरी तीज पूजा करते समय भगवान शिव के पूरे परिवार के साथ नौ ग्रहों की भी पूजा करना उचित माना जाता है.
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इस दिन भक्त ब्राह्मण को अपने घर बुलाकर उन्हें पूजा के बाद, ब्राह्मण को खाना खिलाएं, उन्हें कपड़े और ‘दक्षिणा’ दें.
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सौभाग्य सुंदरी तीज के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं. सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत सभी पूजा अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद ही तोड़ा जाता है. इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं.