Sawan 2023: सावन में बेलपत्र चढ़ाने से मिलता है ये लाभ, दूर होते हैं हर दुःख और संकट
Sawan 2023: कहा जाता है कि वे सावन माह में भक्तों के द्वारा शिव की पूजा के दौरान बेलपत्र अर्पित करने मात्र से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं. अगर आप भी देवों के देव महादेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो बेलपत्र के महत्व को समझना बेहद जरूरी है.
Sawan 2023: इस साल सावन माह की शुरूआत 4 जुलाई से हो रही है. सावन का महीना महादेव को बेहद प्रिय है. कहा जाता है कि वे सावन माह में भक्तों के द्वारा शिव की पूजा के दौरान बेलपत्र अर्पित करने मात्र से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं. अगर आप भी देवों के देव महादेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो बेलपत्र के महत्व को समझना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं कि बेलपत्र क्यों है शिव को इतना प्रिय और क्या है बेलपत्र का महत्व…
बेलपत्र का महत्व
बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं. बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इन्हें एक ही पत्ती मानते हैं. भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं और इनके बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं होती. पूजा के साथ ही बेलपत्र के औषधीय प्रयोग भी होते हैं. इसका प्रयोग करके तमाम बीमारियां दूर की जा सकती हैं.
मिलती है पापों से मुक्ति
जो मनुष्य गंध,पुष्प आदि से बिल्व के मूलभाग का पूजन करता है, वह शिवलोक को पाता है और इस लोक में भी उसकी सुख-संतति बढ़ती है. बिल्व की जड़े के पास दीपक जलाकर रखने से तत्व ज्ञान से समपन्न हो भगवान शिव में ही मिल जाता है, जो मनुष्य बिल्व की शाखा को पकड़कर हाथ से उसके नए-नए पल्लव उतारता और उनसे उस बिल्व की पूजा करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है.
दरिद्रता रहती है दूर
बिल्व की जड़ को निकट रखकर शिव भगवान के भक्त को भोजन कराता है, उसे कोटिगुना पुण्य प्राप्त होता है. जो बिल्व की जड़ के पास शिव भक्त को खीर और घृत से मुक्त भोजन कराता है वह कभी दरिद्र नहीं होता है.
तोड़ने के हैं नियम
हमारे धर्मशास्त्रों में ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिससे धर्म का पालन करते हुए पूरी तरह प्रकृति की रक्षा भी हो सके. यही वजह है कि देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले फूल और पत्र को तोड़ने से जुड़े कुछ नियम बनाए गए है.
जानिए बेलपत्र से जुड़ी इन सावधानियों के बारे में…
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एक बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए.
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पत्तियां कटी या टूटी हुई न हों और उनमें कोई छेद भी नहीं होना चाहिए.
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भगवान शिव को बेलपत्र चिकनी ओर से ही अर्पित करें.
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एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ा सकते हैं.
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शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय साथ ही में जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
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बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए.
सावन कब से शुरू है ? कब समाप्त होगा ?
इस साल सावन 4 जुलाई से शुरू हो रहा है और 31 अगस्त तक चलेगा. इस बार यह पवित्र महीना कुल 58 दिनों का होगा. इतना लंबा सावन 19 साल बाद पड़ रहा है. गौरतलब है कि एक अतिरिक्त महीना, जिसे हिंदू अधिक मास या मल मास के नाम से जानते हैं, ज्योतिषीय गणना के कारण इस साल सावन को प्रभावित कर रहा है.