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सावन में अब तक 88 लाख शिव भक्तों ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में शीश नवाया, पांचवे सोमवार को 6 लाख ने किया पूजन

sawan shiv puja 2023 : छठे सोमवार तक शिव भक्तों का आंकड़ा 1 करोड़ पार करने का अनुमान है. सावन के पांचवें सोमवार को बाबा विश्वनाथ के तपस्यारत पार्वती स्वरूप का श्रृंगार हुआ. शाम 7 बजे तक 6 लाख श्रद्धालुओं ने भगवान विशेश्वर का दर्शन किया.

लखनऊ. 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रधान ज्योतिर्लिंग श्री विशेश्वर के दर्शन के लिए दुनिया भर के सनातनी काशी काशी आते रहते हैं, लेकिन सावन के महीने में काशी का ख़ास आकर्षण होता है. श्रावण माह में  बाबा के भक्तों के स्वागत के लिए योगी सरकार नव्य भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम में ख़ास इंतजाम करती है. जिसके कारण श्री काशी विश्वनाथ धाम में शिव भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है. श्रावण माह के पांचवें सोमवार को शाम 7 बजे तक 6 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किया जबकि पूरे सावन भर में अभी तक लगभग 88 लाख लोग महादेव के दरबार में शीश नवा चुके हैं. सावन के छठे सोमवार तक श्री कशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या 1 करोड़ होने की उम्मीद है. 

रविवार रात लगी कतार सोमवार रात तक लगी रही

रविवार रात से बाबा के दरबार के लिए लगी कतार सोमवार रात तक अनवरत चलती रही. कतार के हर कदम बाबा के चौखट तक पहुंचने के लिए आतुर थे. इससे पहले योगी सरकार ने काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा करवा चुकी है. श्री काशी  विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि सावन के पांचवें सोमवार को शाम 7 बजे तक 6 लाख लोगों ने बाबा के दर्शन किये हैं. जबकि पहले सोमवार को 5 लाख 15 हज़ार, दूसरे सोमवार को 6 लाख 9 हज़ार, तीसरे सोमवार 5 लाख 87 हज़ार, चौथे सोमवार को लगभग 6 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा दरबार में दर्शन किये. अभी तक बाबा के दरबार में 88 लाख (चौथे सोमवार का आंकड़ा शम्म 7 बजे तक का है) हाज़िरी लगा चुके हैं श्रावण माह के अधिमाह के पांचवें सोमवार को बाबा विश्वनाथ के तपस्यारत पार्वती स्वरुप का श्रृंगार हुआ. और भक्त भी महादेव के इस तपस्यारत पार्वती श्रृंगार  दर्शन करके निहाल दिखे.

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ब्रह्मांड के शासक हैं बाबा विश्वनाथ

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है. यह वाराणसी में यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगस में से एक है, जो शिवमेटल के सबसे पवित्र हैं. मुख्य देवता विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से जाना जाते हैं. जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के शासक है. वाराणसी शहर को काशी भी कहा जाता है, इसलिए मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है.काशी विश्वनाथ मंदिर भारतीय संस्कृति और धरोहर का महत्वपूर्ण केंद्र है. यह मंदिर विश्वास के साथ जुड़े करोड़ों- लाखों शिव भक्तों के लिए एक पवित्र स्थान है. हर साल लाखों श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर का निर्माण काशी के महाराजा मनसिंह ने 18वीं सदी में किया था. विश्वनाथ मंदिर का वास्तुकला में अद्भुत सौंदर्य है और इसके भव्य गोपुरम और मंदिर के अंदर के विभिन्न मूर्तियां दर्शकों को आकर्षित करती है. हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों जैसे महाशिवरात्रि, सोमवार, रविवार और श्रावण मास में यहां अलौकिक छठा रहती है. इन अवसरों पर लाखों श्रद्धालु मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं. उन्हें अर्चना का प्रसाद भी प्राप्त होता है. यह मंदिर शिव भक्तों के लिए आध्यात्मिकता और शांति का संगम स्थल है और इसकी महिमा को शब्दों में व्यक्त करना असंभव है.

वायु मार्ग से कैसे पहुंचे

वाराणसी और नई दिल्ली के बीच प्रत्यक्ष दैनिक उड़ान कनेक्शन है यह वाराणसी को दिल्ली, आगरा, खजुराहो, कलकत्ता, मुंबई, लखनऊ, गया, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, भुवनेश्वर आदि से जोड़ता है। हवाई सेवाएँ टर्मिनल मैनेजर बाबतपुर एयरपोर्ट : 0542-2623060 एयरपोर्ट डायरेक्टर : 0542-2622155

ट्रेन से कैसे पहुंचे

वाराणसी एक महत्वपूर्ण और प्रमुख रेल जंक्शन है। शहर पूरे देश के सभी महानगरों और प्रमुख शहरों से रेल सेवा से जुड़ा है। नई दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, ग्वालियर, मेरठ, इंदौर, गुवाहाटी, इलाहाबाद, लखनऊ, देहरादून से सीधी रेल सेवा से जुड़ा है.

सड़क के द्वारा पहुंचें

वाराणसी (राष्ट्रीय राजमार्ग) एनएच 2 को कलकत्ता से दिल्ली तक, एनएच 7 से कन्या कुमारी और एनएच 29 गोरखपुर के साथ जुड़ा हुआ है, जो पूरे देश में सभी प्रमुख सड़कों से जुड़ा हुआ है। कुछ महत्वपूर्ण सड़क की दूरीः आगरा 565 किमी, इलाहाबाद 128 किमी, भोपाल 791 किमी, बोधगया 240 किमी, कानपुर 330 किमी, खजुराहो 405 किमी, लखनऊ 286 किमी, पटना 246 किमी, सारनाथ 10 किमी। , लुंबिनी (नापोल) 386 किमी, कुशी नगर 250 किमी (गोरखपुर के माध्यम से), यूपीएसआरटीसी बस स्टैंड, शेर शाह सूरी मार्ग, गोलगड्डा

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