Sawan Mangla Gauri Vrat 2022: श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2022) किया जाता है. मंगला गौरी व्रत सावन के महीने में प्रथम मंगलवार से प्रारंभ होकर माह के सभी मंगलवारों को किया जाने वाला व्रत है. यह एक ऐसा व्रत है जो पवित्र श्रावण मास में भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती की कृपा पाने का सबसे सुलभ मौका प्रदान करता है.
सावन का महीना हर मामले में बहुत ही पवित्र महीना है क्योंकि जहां एक ओर पूरे महीने भक्तजन भगवान शंकर की आराधना में लगे रहते हैं और प्रत्येक सोमवार को शंकर भगवान का व्रत रखते हैं, वहीं दूसरी ओर सावन के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए सुहागिन स्त्रियां और अविवाहित कन्याएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं.
इस बार सावन माह का आरंभ 14 जुलाई से हो रहा है, जो कि 12 अगस्त तक रहेगा. वहीं इस सावन में चार मंगलवार पड़ रहे हैं.
प्रथम मंगला गौरी व्रत – 19 जुलाई 2022, दिन मंगलवार
दूसरा मंगला गौरी व्रत – 26 जुलाई 2022, दिन मंगलवार
तीसरा मंगला गौरी व्रत – 2 अगस्त 2022, दिन मंगलवार
चतुर्थी मंगला गौरी व्रत – 9 अगस्त 2022, दिन मंगलवार
मंगला गौरी व्रत की पूजा के दौरान विवाहित महिलाओं (सुहागन) के साथ-साथ 16 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. अनुष्ठान के दौरान आवश्यक समाग्री से शुरुआत करते हैं। सावन के प्रत्येक मंगलवार को, आपको देवी गौरा की पूजा के लिए विशिष्ट प्रक्रियाओं का पालन करना होगा, और आपको निम्नलिखित वस्तुओं या समाग्री की आवश्यकता होगी:
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एक चौकी या वेदी
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सफेद और लाल कपड़ा
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कलश
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गेहूँ के आटे से बना एक चौमुखा दीया (दीपक)
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16 कपास से बनी चार बत्तियां
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देवी पार्वती की मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी का पात्र
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पानी, दूध, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, चीनी का मिश्रण)
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देवी गौरी के लिए कपड़े, भगवान गणेश के लिए जनेऊ
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पवित्र लाल धागा (कलावा / मौली), रोली या सिंदूर, चावल, रंग, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, काजल
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16 प्रकार के फूल, माला, पत्ते और फल
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गेहूं, लौंग, इलायची से बने 16 लड्डू
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सात प्रकार का अनाज
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16 पंचमेवा (5 प्रकार के सूखे मेवे)
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16 सुपारी, सुपारी, लौंग
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सुहाग पिटारी (सिंदूर, काजल, मेंहदी, हल्दी, कंघी, तेल, दर्पण, 16 चूड़ियाँ, पैर की अंगुली
के छल्ले, पायल, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, हेयरपिन, आदि)
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नैवेघ / प्रसाद
जो महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं, वे सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले, मंगला गौरी की मूर्ति या फोटो को लकड़ी की प्लेट पर लाल कपड़े के ऊपर रखें. उसके बाद जल, दूध, दही, रोली, चंदन, सिंदूर, मेंहदी और काजल, चूड़ियाँ, मेवा, सुपारी और लौंग चढ़ाकर पूजा करते हैं. उसके बाद भक्तों द्वारा मंगला गौरी व्रत कथा सुनाई जाती है. प्रसाद बांटने के बाद पूजा संपन्न होती है. जो लोग व्रत रखते हैं वे दिन में एक बार ही भोजन करते हैं.
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी…।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी…।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी…।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी…।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी…।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी…।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी…।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।