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Sawan Shivratri 2022: सावन शिवरात्रि आज, बन रहा है दुर्लभ संयोग, करें इस आरती का पाठ

Sawan Shivratri 2022: सावन शिवरात्रि पर व्रत रखने वाले भक्तों को कथा सुनना जरूर करना चाहिए. कहा जाता है कि कथा का पाठ करने से सावन शिवरात्रि व्रत का पूर्ण फल मिलता है. मान्यता है कि इस दिन शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2022 7:32 AM

Sawan Shivratri 2022: सावन महीने में शिवरात्रि आज यानी कि 26 जुलाई 2022, मंगलवार को मनाई जाएगी. इस दिन एक बेहद शुभ संयोग बन रहा है, जिसके कारण शिव-पार्वती की पूजा से विशेष लाभ होगा. सावन शिवरात्रि पर व्रत रखने वाले भक्तों को कथा सुनना जरूर करना चाहिए. कहा जाता है कि कथा का पाठ करने से सावन शिवरात्रि व्रत का पूर्ण फल मिलता है. मान्यता है कि इस दिन शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है.

सावन शिवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त

पंचांग के मुताबिक इस बार सावन की शिवरात्रि 26 जुलाई, मंगलवार की शाम 6 बजकर 45 मिनट से 27 जुलाई को रात 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगी. ऐसे में भगवान शिव का जलाभिषेक दोनों दिन किया जाएगा. शिवरात्रि में चारों प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन चारों प्रहर की पूजा करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है.

भक्तों की पूरी होगी मनोकामना

शास्त्रों की मानें तो भगवान शिव की पूजा करने से हर कष्ट से निजात मिल जाती है। यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि भोले बाबा अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं और बहुत छोटे से ही प्रयत्न से मान जाते हैं.

सावन शिवरात्रि पूजा की सामग्री

दूध, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, कपूर, धूप, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, पुष्प, पंच फल, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, मंदार पुष्प, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, गन्ने का रस, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव जी और मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

Sawam Shivratri 2022 Shiv Ji Ki Aarti

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा
।।ॐ जय शिव..॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
।।ॐ जय शिव..॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
॥ ॐ जय शिव..॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी
॥ ॐ जय शिव..॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
॥ ॐ जय शिव..॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता
॥ ॐ जय शिव..॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका
॥ ॐ जय शिव..॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
॥ ॐ जय शिव..॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
॥ ॐ जय शिव..॥

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