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निंदनीय ब्रिटिश कूटनीति

ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया जानती है कि कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है.

दो देशों के आपसी संबंधों का सबसे बड़ा आधार यह भरोसा होता है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के आधारभूत भावनाओं का सम्मान करेंगे. पाकिस्तान में ब्रिटेन की उच्चायुक्त जेन मैरियट ने पाक-अधिकृत कश्मीर में मीरपुर का आधिकारिक दौरा कर इस भरोसे को चोटिल किया है. स्वाभाविक रूप से भारत ने ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्जेंडर ऐलिस को विदेश मंत्रालय बुला कर इस यात्रा पर कड़ा एतराज जताया है. उल्लेखनीय है कि मैरियट के दौरे में ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय का एक उच्च अधिकारी भी शामिल था. पाकिस्तान में ब्रिटेन की उच्चायुक्त ने इस दौरे के पक्ष में जो तर्क दिया है, वह भी बहुत आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा है कि ’70 प्रतिशत ब्रिटिश-पाकिस्तानियों की जड़ें मीरपुर से हैं’, इसलिए वे वहां गयी थीं. सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में उन्होंने मीरपुर को ब्रिटेन और पाकिस्तान के लोगों के रिश्ते का दिल बताया है. इसका मतलब यह है कि वे मीरपुर को पाकिस्तान का हिस्सा मानती हैं, जो उनकी सरकार की आधिकारिक नीति के अनुरूप भी नहीं है. ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया जानती है कि कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. भारतीय संसद और सरकार ने हमेशा यह कहा है कि पाकिस्तान को यह अवैध कब्जा छोड़ देना चाहिए, क्योंकि पाक-अधिकृत कश्मीर समूचा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. भारत ने इस दौरे को भारत की संप्रभुता और अखंडता में हस्तक्षेप की संज्ञा दी है. अमेरिका और ब्रिटेन समेत सभी पश्चिमी देशों से भारत के संबंध अच्छे हैं, लेकिन बीच-बीच में उनकी ऐसी हरकतें भारतीयों को क्षुब्ध करती हैं.

पिछले साल पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत ने गिलगित और हुंजा की यात्रा की थी. तब उनका बहाना जलवायु परिवर्तन था. उस समय भी भारत ने कड़ा प्रतिवाद दर्ज किया था. कोई भी देश अगर पाकिस्तान से अच्छे संबंध रखना चाहता है, तो इससे भारत को कोई लेना-देना नहीं है, पर अगर अवैध कब्जे वाले इलाकों में अपने कूटनीतिकों का दौरा करा कर अगर कोई देश पाकिस्तान को तुष्ट करना चाहता है, तो भारत द्वारा इसकी निंदा होगी ही. ऐसे कृत्यों को भारत-विरोधी तत्वों को पश्चिम द्वारा दिये जा रहे शरण से भी जोड़ कर देखा जाना चाहिए. अनेक पश्चिमी देशों की तरह ब्रिटेन और अमेरिका में ऐसे गिरोह और सरगना हैं, जो भारत में आतंक, अलगाववाद, तस्करी आदि को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. ऐसे तत्वों ने भारतीय दूतावासों और अन्य कार्यालयों के साथ-साथ मंदिरों पर हमले भी किये हैं. ये गिरोह उन देशों के भारतीय समुदायों में फूट डालने में भी लगे हुए हैं. यह बात वहां की सरकारें भी जानती हैं कि पाकिस्तानी आतंकी समूहो और कुख्यात आइएसआइ से इन गिरोहों के करीबी रिश्ते हैं.

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