झारखंड में छात्रवृत्ति घोटाला : जला दिये गये 70 करोड़ के दस्तावेज, कर्मचारियों की मिली भगत से हुआ पैसों का गबन

कल्याण विभाग कार्यालय चतरा का कारनामा. छात्रवृत्ति की राशि कर्मचारियों व उसके रिश्तेदारों के खाते में कर दिये गये ट्रांसफर. पर्यटन विकास के नाम पर बने भवनों से निजी लोग कमा रहे पैसा, सरकार को राजस्व का नुकसान

By Prabhat Khabar News Desk | September 10, 2021 12:18 PM

Jharkhand News, Chatra News, Scholarship scam चतरा : चतरा में कल्याण विभाग के कार्यालय द्वारा छात्रवृति से जुड़े 70 करोड़ के दस्तावेज जला दिये गये. इस कारण ऑडिट के दौरान इस राशि के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी. यह भी बताया गया कि मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के क्रियान्वयन के लिए कोई एक्शन प्लान नहीं है. पुलों की स्थिति को देखते हुए सरकार से सेफ्टी ऑडिट कराने की अनुशंसा की गयी है ताकि दुर्घटना से बचा जा सके. पर्यटन विकास के नाम पर बिना मूल्यांकन किये ही भवनों सहित अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया.

कई स्थानों पर सरकारी भवनों से निजी लोग पैसा कमा रहे हैं, लेकिन सरकार को कुछ नहीं मिल रहा है. प्रधान महालेखाकार(ऑडिट) इंदू अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में सीएजी रिपोर्ट की चर्चा करते हुए यह बात कही.

कर्मचारियों की मिलीभगत से किया गया पैसे का गबन :

प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) ने जालसाजी का उल्लेख करते हुए कहा कि जिला कल्याण पदाधिकारी ने अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से छात्रवृत्ति के पैसे का गबन किया गया. सरकार ने जिले को 95 करोड़ रुपये दिये थे. इसमें से 85 करोड़ रुपये की निकासी हुई. 85 करोड़ में से 70 करोड़ रुपये के हिसाब- किताब से जुड़े दस्तावेज जला दिये गये.

इसलिए ऑडिट के दौरान इस राशि के खर्च होने या नहीं होने का पता नहीं लगाया जा सका. जांच में सिर्फ 15 करोड़ रुपये के गबन का मामला पकड़ में आया. जिला कल्याण कार्यालय में 12 बैंक अकाउंट चल रहे थे. हालांकि सरकार को सिर्फ तीन बैंक अकाउंट होने की जानकारी दी गयी थी. जांच के दौरान छात्रवृत्ति की राशि वहां के कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर किये जाने का मामला पकड़ में आया. इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ सरकार कार्रवाई कर चुकी है.

मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के लिए नहीं बना कोई एक्शन प्लान :

मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना पर कहा कि इस योजना का उद्देश्य गांवों को कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना था. योजना के गलत क्रियान्वयन से उसका उद्देश्य पूरा नहीं हो सका.

योजना को क्रियान्वित करने के लिए कोई एक्शन प्लान नहीं बना. पुलों के निर्माण से पहले मिट्टी सहित अन्य सभी तरह की जांच की प्रक्रिया को सही ढंग से पूरा नहीं किया गया. नमूना जांच के दौरान पुलों के निर्माण में इंजीनियरिंग के मापदंडों को पूरा नहीं करने का मामला भी प्रकाश में आया. पुलों के निर्माण के बाद इसकी मरम्मत और रखरखाव के लिए बजट में प्रावधान नहीं किया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से पुलों का सेफ्टी ऑडिट कराने की अनुशंसा की गयी है.

पर्यटन के विकास के लिए नहीं तैयार हुआ मास्टर प्लान :

सीएजी रिपोर्ट में पर्यटन के बिंदु की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यटन के समेकित विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार नहीं किया गया. पर्यटन विकास की क्षमता का सर्वे नहीं किया गया. ग्राउंड वर्क किये बिना ही पर्यटन विकास के नाम पर भवनों का निर्माण किया गया. पर्यटन विकास के नाम पर 39.62 करोड़ की लागत से बनी 29 परिसंपत्तियां आधी-अधूरी तरीके से चल रही है.

झारखंड पर्यटन विकास निगम भी इन परिसंपत्तियों का सही इस्तेमाल करने में असफल रहा. कई स्थानों पर सरकार की संपत्ति से निजी लोग पैसा कमा रहे हैं और सरकार को कुछ नहीं मिल रहा है. जैसे मलूटी (दुमका) और बारीडीह (पूर्वी सिंहभूम) की परिसंपत्तियां. मलूटी में 1.11 करोड़ की लागत से तैयार संरचना को 2009 में झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डेटीजीसी) को सौंप दिया गया. 2012 में इसे चलाने के लिए उपायुक्त को सौंपा गया.

कई बार टेंडर करने के बावजूद इसे चलाने के लिए किसी ने टेंडर नहीं डाला. उपायुक्त ने एक समिति का गठन कर इसे चलवाया. जून 2015 के बाद इसे वापस लेकर फिर से जेटीडीसी को दे दिया गया. मार्च 2020 में भौतिक सत्यापन के दौरान पाया गया कि समिति के लोग अब भी इसका संचालन कर रहे हैं. बारीडीह के सिलसिले में जेटीडीसी ने टूरिस्ट काॅम्प्लेक्स के निष्क्रिय होने की सूचना दी.

हालांकि भौतिक सत्यापन के दौरान इस भवन में वैवाहिक कार्यक्रमों के आयोजित किये जाने की जानकारी मिली. देवघर में पुनासी डैम से दूर 1.90 करोड़ की लागत पर बहुद्देशीय भवन का निर्माण किया गया. 2018 से अब तक इसे चलाया नहीं जा सका है. देवघर के शिल्प ग्राम में 3.05 करोड़ रुपये की लागत से ‘लाइट एंड साउंड शो’ का निर्माण किया गया. 2015 में इसे चलाया गया. 2016 से यह खराब पड़ा है.

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

2018-19 में ऊर्जा क्षेत्र के चार पीएसयू को 572.01 करोड़ का घाटा हुआ

तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड ने 92.57 करोड़ का मुनाफा कमाया

लाइसेंसियों के बीच एनर्जी ट्रांसफर और रिटर्न के क्राॅस वेरिफिकेशन की प्रणाली नहीं रहने की वजह से झारखंड बिजली वितरण निगम को 212.17 करोड़ रुपये का घाटा हुआ

6498 वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट का नवीकरण नहीं होने से 22.82 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

9260 मालवाहक गाड़ियों से टैक्स और दंड के रूप में 74.57 करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गयी

Posted By : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version