Bihar News: कटिहार के बाद अब अररिया जिला में भी विद्यालय में साप्ताहिक बंदी को लेकर मदरसा मॉड्यूल पर चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं. फारबिसगंज में ऐसे कई विद्यालय हैं जो बिहार सरकार द्वारा संचालित होने के बावजूद यहां पर मदरसा के तर्ज पर साप्ताहिक छुट्टी के रूप में शुक्रवार को विद्यालय में बंदी, गुरुवार को आधा दिन व उसकी जगह पर रविवार को विद्यालय खुला रहता है.
दरअसल फारबिसगंज नगर परिषद क्षेत्र में चार सरकारी विद्यालय प्राथमिक विद्यालय जेएन पथ, प्राथमिक विद्यालय दसआना कचहरी, प्राथमिक विद्यालय पोखर बस्ती व प्राथमिक विद्यालय गुदरी मोहल्ला दल्लू टोला शुक्रवार को बंद व रविवार को संचालित होते हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे विद्यालयों की संख्या अधिक है.
विद्यालय के साप्ताहिक बंदी को लेकर न तो विद्यालय के पास कोई रिकॉर्ड है और न ही शिक्षा विभाग के पास विद्यालय के इस साप्ताहिक बंदी को लेकर कोई आधिकारिक रूप से जानकारी है. 2009 में राइट टू एजुकेशन लागू होने के बावजूद विद्यालयों को साप्ताहिक बंदी को लेकर कोई ठोस दिशा निर्देश नहीं होने के कारण साप्ताहिक बंदी को लेकर इन विद्यालयों में शुक्रवार वाला मॉड्यूल भी जारी रहा.
प्राथमिक विद्यालय प्रधान की मानें तो उनके विद्यालय में 95% छात्र-छात्रा अल्पसंख्यक समाज से ही है. इसलिए उनकी सहूलियत को देखते हुए पूर्व से चले आ रहे इसी परंपरा को बरकरार रखते हुए विद्यालय के साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार कर दिया गया है व उसके बदले में रविवार को विद्यालय संचालित होता है. विद्यालय के शिक्षा समिति से जुड़े हैं लोगों ने भी कहते हैं यह आज का कोई नया नियम नहीं है. वर्षों से अल्पसंख्यक बहुल इस इलाके में कई विद्यालय इसी तरह संचालित हो रहे हैं.
विद्यालय के प्राचार्य ने कहा कि उनकी जानकारी में भी यह बातें सामने आई है, जिला के लगभग 100 से अधिक विद्यालय साप्ताहिक बंदी के रूप में शुक्रवार को बंद व उसके भरपाई के रूप में रविवार को खुला रहता है, जहां तक इससे जुड़े कारण के बात है तो विभाग के पास इसको लेकर कोई साफ निर्णय से जुड़ा हुआ पत्र नहीं है. आगे शिक्षा विभाग द्वारा जो आदेश जारी किया गया है, उसका पालन कराया जायेगा.
बताते चलें इस फैसले को लेकर एक तरफ जहां हिंदी विद्यालय के सप्ताहिक छुट्टी को लेकर अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों में विद्यालय पर मनमर्जी नियम थोपने का आरोप लग रहा है. वहीं कुछ लोग सवाल यह भी उठा रहे हैं कि जब वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है तो अचानक इस पर इतना हाय तौबा क्यों? वहीं फारबिसगंज विधायक प्रतिनिधि अविनाश कनौजिया अंशु ने कहा कि इस मामले को लेकर वे जल्द ही जिला पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी से मुलाकात करेंगे व बातों को रखेंगे.
Published By: Thakur Shaktilochan