Loading election data...

कोरोना काल में भी खुला है झारखंड के नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र का स्कूल

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला का घोर नक्सल प्रभावित और पिछड़ा इलाका है, सारंडा. यहां ठीक से संचार सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. बावजूद इसके यहां बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकी. यहां के बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं कर रहे. ऑफलाइन पढ़ाई करते हैं. जी हां. हर दिन स्कूल आते हैं. कोरोना काल में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाई होती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2020 2:46 PM
an image

किरीबुरु (शैलेश सिंह) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला का घोर नक्सल प्रभावित और पिछड़ा इलाका है, सारंडा. यहां ठीक से संचार सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. बावजूद इसके यहां बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकी. यहां के बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं कर रहे. ऑफलाइन पढ़ाई करते हैं. जी हां. हर दिन स्कूल आते हैं. कोरोना काल में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाई होती है.

सारंडा के दोदारी गांव स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय के बच्चे संचार सुविधा के अभाव में ऑनलाइन पाठशाला का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. बच्चों को सामाजिक दूरी के तहत विद्यालय प्रांगण में ही पढ़ाया जा रहा है. इस विद्यालय को सरकार से सेकेंडरी ग्रामीण स्कूल श्रेणी में स्वच्छ विद्यालय का झारखंड में सातवां व जिले का प्रथम पुरस्कार मिला है. कोरोना की वजह से जिले के सभी स्कूल बंद हैं.

यहां अभिभावकों की अनुमति से नामांकित 222 बच्चों में से करीब 50 बच्चे रोज सुबह 9 से अपराह्न 12 बजे तक पढ़ने आते हैं. इन बच्चों को प्रधानाध्यापक उत्तम कुमार दास, पारा शिक्षक रौयन हेम्ब्रम, पूनम कुमारी व शहदेव तांती पढ़ाते हैं. यह विद्यालय अपनी शिक्षा, स्वच्छता को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है. बीते वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में विद्यालय से 10 बच्चे शामिल हुए. सभी उत्तीर्ण हुए थे. यानी स्कूल का रिजल्ट 100 फीसदी रहा था.

Also Read: Jharkhand News: सारंडा में बंजर खेतों में लेमनग्रास की खेती से संवरने लगी है जिंदगी

विद्यालय के प्रधानाध्यापक उत्तम कुमार दास ने बताया कि क्षेत्र के बच्चे व अभिभावक शिक्षा के प्रति जागरूक हैं. संसाधन की कमी की वजह से हम बेहतर नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्ग एक से 10वीं तक की पढ़ाई के लिए तीन पारा शिक्षक व मात्र चार कमरे हैं. स्कूल की छत का प्लास्टर टूट रहा है. इसकी मरम्मत के लिए निविदा हुई थी. करीब 6 माह पूर्व संवेदक ने स्कूल पहुंचकर कार्यस्थल का जायजा लिया. आज तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ.

इस स्कूल को मॉडर्न स्कूल बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है. हालांकि, इस वक्त इस स्कूल की चहारदीवारी तक नहीं है. प्रधानाध्यापक उत्तम कुमार दास ने कहा कि अतिरिक्त शिक्षक व क्लास रूम की अत्यंत आवश्यकता है. संचार सुविधा उपलब्ध हो जाये, तो ऑनलाइन क्लास चल सकते हैं और उसमें सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाने की व्यवस्था हो सकती है.

Also Read: ओड़िशा से बंगाल जा रहे कंटेनर में भरे थे 38 मवेशी, झारखंड पुलिस ने किया जब्त, तस्कर गिरोह के 5 सदस्य गिरफ्तार

Posted By : Mithilesh Jha

Exit mobile version