झारखंड में 5वीं कक्षा तक स्कूल बंद, कड़ाके की ठंड में ठिठुरते हुए नन्हे-मुन्ने पहुंच रहे आंगनबाड़ी केंद्र
कड़कड़ाती ठंड में बड़कागांव प्रखंड के 157 आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे अभी भी ठिठुरते हुए आ रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद नहीं होने से अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है. ठंड के असर से बच्चों को सर्दी लगने की चिंता माता-पिता को रहती है.
झारखंड में सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया है. लेकिन, लगातार बढ़ रही ठंड के बीच आंगनबाड़ी केंद्र (Anganwadi Kendra Barkagaon Hazaribagh) में अब भी बच्चे आ रहे हैं. पढ़ने के लिए. यहां अभी भी पठन-पाठन बंद नहीं हुआ है. हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड में 1 जनवरी से 5 जनवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ी है. गुरुवार (5 जनवरी 2023) को बड़कागांव का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
157 आंगनबाड़ी केंद्र हैं बड़कागांव प्रखंड में
इस कड़कड़ाती ठंड (Cold Weather) में बड़कागांव प्रखंड के 157 आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे अभी भी ठिठुरते हुए आ रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद नहीं होने से अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है. ठंड के असर से बच्चों को सर्दी लगने की चिंता माता-पिता को रहती है. छोटे बच्चों को सर्दी लगने पर निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है.
अभिभावक बोले- बच्चों को ठंड से बचाने की जरूरत
बड़कागांव के एक आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि बच्चे जब ठिठुरते हुए केंद्र में आते हैं, तो हमें भी अच्छा नहीं लगता. उन पर दया आती है. लेकिन, ड्यूटी तो करनी पड़ेगी. इसलिए हम उन्हें आने से मना भी नहीं कर सकते. वहीं, अभिभावकों का कहना है कि 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र हर दिन जाना पड़ता है. ऐसे में बच्चों को ठंड से बचाने की जरूरत है. अभिभावकों ने कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्र में भी बच्चों का क्लास स्थगित किया जाना चाहिए.
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सीडीपीओ ने कहा- आंगनबाड़ी केंद्र बंद करने का नहीं मिला आदेश
सीडीपीओ अर्चना एक्का ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने से संबंधित कोई भी विभागीय आदेश अभी तक नहीं आया है. जैसे ही इस संबंध में आदेश हमारे पास आयेगा, हम आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करवा देंगे.
ठंड को बर्दाश्त नहीं कर पाता बच्चों का शरीर- चिकित्सा पदाधिकारी
चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अविनाश कुमार का कहना है कि बच्चों में ठंड का असर तेजी से होता है. बच्चों में चर्बी की मात्रा कम होती है. ऐसी परिस्थिति में बच्चों का शरीर ठंड को बर्दाश्त नहीं कर पाता. इसलिए उन्हें सर्दी-खांसी हो जाती है. अगर कुछ दिन ज्यादा सर्दी-खांसी रह जाये, तो बच्चों को निमोनिया का खतरा भी बढ़ जाता है.
रिपोर्ट – संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग