Scoop Review: हंसल मेहता की एक और दिलचस्प प्रस्तुति स्कूप… साहासिक पत्रकारिता को करती है सलाम

Scoop Review: निर्देशक हंसल मेहता एक और सच्ची कहानी को स्कूप के जरिये लेकर आये हैं. वेब सीरीज की कहानी की बात करें, तो मुंबई की चर्चित क्राइम रिपोर्टर जिगना वोरा की किताब बिहाइंड द बार्स इन भायखला: माय डेज इन प्रिजनस पर यह सीरीज आधारित है.

By कोरी | June 3, 2023 6:38 AM
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वेब सीरीज – स्कूप

निर्माता – मैचबॉक्स प्रोडक्शन

निर्देशक – हंसल मेहता

कलाकार – करिश्मा तन्ना,जीशान अयूब, हरमन बावेजा,तेजस्विनी कोल्हापुरे, देवेन भोजवानी और अन्य

प्लेटफार्म – नेटफ्लिक्स

रेटिंग- साढ़े तीन

Scoop Review: स्कैम के बाद निर्देशक हंसल मेहता एक और सच्ची कहानी को स्कूप के जरिये लेकर आए हैं. यह भी एक एक चौंकाने वाली कहानी है, क्योंकि इसमें मीडिया, अंडरवर्ल्ड और मुंबई पुलिस जुड़ी हुई है. जिससे निश्चित तौर पर आने वाले समय में कई चर्चाएं शुरू होने वाली है. असल जिंदगी पर आधारित इस सीरीज को हंसल मेहता का उम्दा निर्देशन, डिटेल स्क्रीनप्ले और कलाकारों का शानदार प्रदर्शन और खास बना गया है. जिससे यह छह एपिसोड की सीरीज शुरुआत से आखिर तक आपको बांधे रखती है.

क्राइम रिपोर्टर जिगना वोरा की है सच्ची कहानी

वेब सीरीज की कहानी की बात करें, तो मुंबई की चर्चित क्राइम रिपोर्टर जिगना वोरा की किताब बिहाइंड द बार्स इन भायखला: माय डेज इन प्रिजनस पर यह सीरीज आधारित है. जिगना वोरा की कहानी होने के बावजूद इस सीरीज में पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं. सीरीज में यह जागृति पाठक (करिश्मा तन्ना) की कहानी है. इस वेब सीरीज का काल खंड साल 2011 का है, है, जब मुंबई में एक बार फिर से अंडरवर्ल्ड के दो चर्चित नामों दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन गिरोह की सक्रियता एकदम से बढ़ गई है और इसी बीच एक नामी पत्रकार जे डे (प्रोसेनजीत) की दिन दहाड़े हत्या हो जाती है. इस घटना ने उस वक़्त की सरकार को भी हिला दिया था. इस हत्या के दोषियों को पकड़ने के लिए जब मुंबई पुलिस पर दबाव बढ़ने लगता है, तो वह इस हत्या का आरोपी अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के साथ-साथ पत्रकार जागृति पाठक को भी बताते हैं. उनकी दलील होती है कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन ने पत्रकार जागृति की मदद से इस हत्या को अंजाम दिया है. जागृति को गिरफ्तार किया जाता है, वह भी मकोका के कड़े आरोपों के तहत. जागृति के वकील पूरी कोशिश करते हैं लेकिन जागृति को जमानत नहीं मिल पाती है. निर्दोष होने के बावजूद उसे जेल जाना पड़ता है. क्या उसे ज़मानत मिल पाएगी. आगे क्या होता है, इसी को सीरीज की कहानी कभी अतीत तो कभी वर्तमान में रहकर कहती है.

स्क्रिप्ट की खूबियां और खामियां

जिगना वोरा की किताब बिहाइंड द बार्स इन भायखला: माय डेज इन प्रिजनस पर आधारित इस वेब सीरीज के स्कीनप्ले में मिरात त्रिवेदी, मृण्मयी लागू वैकुल और अनु सिंह चौधरी का नाम जुड़ा हुआ है. काफी डिटेल में उन्होने पूरे घटनाक्रम को दिखाया है.जिससे उस वक़्त की इस चर्चित घटनाक्रम को डिटेल में जानने को मिलता है. सीरीज ज़रूरी सवाल भी उठाती है कि क्या मुंबई पुलिस के कुछ अधिकारियों, एटीएस और कुछ प्रभावी लोगों अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के लिए काम करते थे . सीरीज आखिर में यह बात भी लिखती है कि पत्रकार जे की हत्या के बाद से अब मुंबई पुलिस के अधिकारियों और दाऊद से सांठगांठ की जानकारी वाली कभी कोई स्टोरी नहीं होती है. यह सीरीज इस बात को भी सामने लेकर आती है कि किसी महिला की सफलता के पीछे उसकी काबिलियत को कम उसके चरित्र को लोग ज़्यादा जज करते हैं.सीरीज पत्रकारिता के काम काज के तरीके को भी पूरी तरह से सामने लेकर आती है. यह सीरीज मीडिया की कार्यशैली पर सवाल उठाने के साथ-साथ सहासिक पत्रकारिता को सलाम भी करती है. सीरीज के संवाद कहानी को और प्रभावी बना गए हैं. खामियों की बात करें तो सीरीज की लम्बाई जरूरत से ज़्यादा बढ़ गयी है और किरदारों की अधिकता भी हो गयी है, जिस वजह से कई किरदारों के साथ यह सीरीज बखूबी न्याय नहीं कर पायी है.

करिश्मा तन्ना का करिश्मा

अभिनय की बात करें तो यह अभिनेत्री करिश्मा तन्ना के कैरियर की सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी और उन्होने इस जिम्मेदारी को पूरी तरह से अपने अभिनय के साथ न्याय किया है. करिश्मा तन्ना के साथ- थ अभिनेता हरमन बावेजा ने भी शानदार काम किया था. इस सीरीज के बाद से निश्चित तौर उन्हें और काम मिलने वाला है. जीशान अयूब एक बार फिर अपने किरदार में छाप छोड़ गए हैं. प्रोसेनजीत सीमित स्पेस में भी याद रह जाते हैं. तेजस्विनी, देवेन भोजवानी सहित बाकी के किरदारों ने अपनी-अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करके इस सीरीज के देखने के अनुभव को और खास बनाया है.

दूसरे पहलू में कुछ खास कुछ गयी चूक

इस सीरीज का गीत संगीत वेब सीरीज के साथ न्याय करता हैं. सीरीज में एक गीत धूप आने दो है. जो सीरीज में एक अलग रंग भरता है. सीरीज की सिनेमाटोग्राफी विषय के साथ न्याय करती है. सीरीज की एडिटिंग में थोड़ा काम करने की जरूरत है.छह एपिसोड वाली इस सीरीज़ के आखिर के दो एपिसोड ज़्यादा खिंच गए हैं.

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